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-सुमेधा पाल
शनिवार को दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में नरेगा कार्यकर्ताओं और मज़दूरों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि मनरेगा को योजनाबद्ध तरीक़े से कमज़ोर किया जा रहा है.
नरेगा कार्यकर्ता मुकेश ने कहा, “मनरेगा जिस गारंटी की बात करता है वो गारंटी कहाँ नज़र आ रही है, हमें बस संघर्ष नज़र आ रहा है. लोगों को लगता था कि इस योजना से पलायन कम होगा, लोगों को घरों के पास रोज़गार मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा. मगर ऐसा हुआ नहीं.”
वहीं एक और कार्यकर्ता रामबेटी ने कहा, “मनरेगा के आने से महिलाएं बराबरी की राह पर आगे बढ़ी थीं. मगर अब नई तकनीक जैसे जियो टैगिंग की वजह से दिक़्क़तें पैदा हो रही हैं. जॉब कार्ड नहीं बन पा रहे हैं, भुगतान नहीं हो रहा है. इससे महिलायें सबसे ज़्यादा परेशान हैं.”
कार्यकर्ताओं और मज़दूरों ने बताया कि वे वेतन भत्ता, बेरोज़गारी भत्ता की माँग कर रहे हैं और फ़ेशियल रिकॉग्निशन में आने वाली दिक्कतों से निजात चाहते हैं.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन नरेगा संघर्ष मोर्चा की तरफ़ से किया गया था. यहाँ 11 राज्यों से मज़दूर आए थे.
मनरेगा को शुरू हुए 20 साल हो चुके हैं. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोज़गार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा रोज़गार देने वाली दुनिया की सबसे बड़ी योजना मानी जाती है.(bbc.com/hindi)