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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 5 सितंबर। नगर निगम द्वारा शुक्रवार को की जाने वाली दुकानों की नीलामी पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। मामला एक मानसिक दिव्यांग युवक और उसके पिता से जुड़ा है, जिनकी दुकानें निगम ने बकाया वसूली के लिए सील कर दी थीं।
जस्टिस अरविन्द वर्मा की एकलपीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि दिव्यांगता अधिकार अधिनियम 2016 के तहत निगम को सहानुभूति के साथ काम करना चाहिए। कोर्ट ने पिता और पुत्र को भी राहत देते हुए निर्देश दिया कि पुत्र एक सप्ताह और पिता एक माह के भीतर दुकानों की पूरी बकाया राशि निगम में जमा करें। साथ ही नीलामी विज्ञापन पर हुए खर्च की अदायगी भी करनी होगी।
याचिकाकर्ता युवक मानसिक दिव्यांग है और उसका इलाज सेंदरी मानसिक चिकित्सालय में जारी है। उसके पिता अनिल पांडेय के नाम निगम के इमलीपारा स्थित कॉम्प्लेक्स में दो दुकानें हैं, जहां दोनों कबाड़ का कारोबार करते थे। कोरोना काल के दौरान दुकानें लंबे समय तक बंद रहने से वे किराया और अन्य देनदारियां समय पर अदा नहीं कर सके। नतीजतन, 22 मई 2025 को नगर निगम ने दोनों दुकानों को सील कर दिया और अंदर रखा कबाड़ का सामान भी उठा ले गया। कोर्ट के इस आदेश के बाद पिता-पुत्र को फिलहाल राहत मिली है, हालांकि उन्हें तय समयसीमा में पूरी बकाया राशि अदा करनी होगी।