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पत्नी 10 साल से मायके में, हाईकोर्ट ने माना क्रूरता, पति को मिली तलाक की डिक्री
04-Sep-2025 3:13 PM
पत्नी 10 साल से मायके में, हाईकोर्ट ने माना क्रूरता, पति को मिली तलाक की डिक्री

बिलासपुर, 4 सितंबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पारिवारिक विवाद में पति की तलाक याचिका मंजूर कर ली है। कोर्ट ने माना कि पत्नी ने बिना पर्याप्त कारण वैवाहिक जीवन से दूरी बनाई, जो मानसिक क्रूरता के दायरे में आता है। साथ ही पति को आदेश दिया गया है कि वह 6 महीने के भीतर पत्नी को 15 लाख रुपए स्थायी गुजारा भत्ता दे।

मामला कोरबा निवासी एक एसईसीएल अधिकारी का है, जिनकी शादी साल 2010 में हुई थी। पति का आरोप था कि शादी के कुछ दिनों बाद ही पत्नी ने वैवाहिक कर्तव्यों से इनकार करना शुरू कर दिया और संयुक्त परिवार से अलग रहने का दबाव बनाने लगी। साल 2011 से वह मायके में रह रही है। पति ने कई बार पत्नी को वापस लाने की कोशिश की, लेकिन वह तैयार नहीं हुई।

पत्नी ने दूसरी ओर पति और उसके परिवार पर दहेज उत्पीड़न, मारपीट और पांच लाख रुपए मांगने के आरोप लगाए थे। उसने 498ए, घरेलू हिंसा और भरण-पोषण के केस भी दर्ज कराए थे। हालांकि 2021 में कोर्ट ने पति और परिवार को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

कोरबा फैमिली कोर्ट ने 2017 में तलाक की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि पति क्रूरता और परित्याग साबित नहीं कर सका। लेकिन हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि दस्तावेजी और मौखिक साक्ष्य स्पष्ट करते हैं कि पत्नी ने बिना पर्याप्त कारण वैवाहिक जीवन से दूरी बनाई।

कोर्ट ने माना कि 2011 से लगातार अलग रहने और बार-बार मुकदमे दर्ज कराने से मानसिक और शारीरिक क्रूरता साबित होती है। इसलिए पति को तलाक की डिक्री दी जाती है।


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