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हाईकोर्ट ने स्थिति को बताया मानवाधिकारों का उल्लंघन, मांगा हलफनामा
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 4 सितंबर। छत्तीसगढ़ की जेलों में क्षमता से बहुत अधिक कैदी बंद होने पर हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि यह स्थिति न सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि जेल सुधार व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
सुनवाई के दौरान शासन की ओर से जानकारी दी गई कि प्रदेश की सभी केंद्रीय और जिला जेलों की कुल क्षमता लगभग 15,485 कैदियों की है, जबकि फिलहाल इनमें करीब 19,476 कैदी बंद हैं। इसमें महिला कैदियों के साथ 82 बच्चे भी शामिल हैं। इतना ही नहीं, 340 कैदी ऐसे हैं जिन्हें 20 साल से अधिक की सजा हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट तक उनकी अपील खारिज हो चुकी है।
सरकार ने अदालत को बताया कि भीड़ कम करने के लिए नई जेलों का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। बेमेतरा जिले में नई जेल का काम लगभग पूरा हो चुका है और इसी माह इसे शुरू कर दिया जाएगा। वहीं, बिलासपुर में प्रस्तावित नई जेल का मामला लगातार टेंडर प्रक्रिया में अटक रहा है। बताया गया कि सातवीं बार टेंडर जारी किया जाएगा, क्योंकि पहले के टेंडर या तो तकनीकी कारणों से निरस्त हो गए या योग्य ठेकेदार नहीं मिले।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि प्रदेश की जेलों में 1,843 कैदी कुशल पेशेवर हैं, 504 वरिष्ठ बंदी हैं और हाल ही में चार कैदियों ने जेल से भागने की कोशिश भी की थी।
हाईकोर्ट ने शासन को निर्देश दिया है कि 16 सितंबर तक विस्तृत शपथपत्र दाखिल कर बताया जाए कि वर्तमान क्षमता, कैदियों की संख्या, निर्माणाधीन और प्रस्तावित जेलों की स्थिति क्या है और भीड़ कम करने के लिए अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए हैं।