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नयी दिल्ली, 3 सितंबर। केंद्र सरकार ने बुधवार को आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) के प्राथमिक स्कूलों के साथ या समीप रखने के लिए दिशानिर्देश जारी किए जिसमें शिक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के संयुक्त योजना, पाठ्यक्रम तालमेल, अभिभावक सहभागिता और बाल-मित्र शिक्षण स्थान बनाने का प्रावधान है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने संयुक्त रूप से इन दिशानिर्देशों को जारी किया।
अधिकारियों ने बताया कि देश के लगभग 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों में से लगभग 2.9 लाख पहले से ही स्कूल परिसरों में स्थित हैं लेकिन समन्वय सुनिश्चित करने का कोई मानकीकृत तंत्र नहीं था।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "ये दिशानिर्देश एक उचित प्रणाली बनाने के लिए तैयार किए गए हैं ताकि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एक समान कार्यप्रणाली अपना सकें।"
इस ढांचे में दो मॉडल निर्दिष्ट किए गए हैं: पर्याप्त स्थान और सुविधाओं वाले स्कूलों के अंदर आंगनवाड़ी केंद्रों का भौतिक सह-स्थान या आंगनवाड़ी केंद्रों का निकटवर्ती स्कूलों के साथ मानचित्रण जहां प्रत्यक्ष सह-स्थान संभव नहीं है।
इसमें छोटे बच्चों के लिए अलग प्रवेश और निकास मार्ग, मध्याह्न भोजन के लिए रसोई, भीतर और मैदान में खेल के लिए उपयुक्त क्षेत्र और बाल-मित्र शौचालय जैसी सुविधाओं का प्रावधान किया गया है।
समन्वय बढ़ाने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और स्कूल शिक्षकों के बीच मासिक बैठकें, प्रवेशोत्सव, अभिभावक-शिक्षक बैठकें और संयुक्त गतिविधि कैलेंडर अनिवार्य किए गए हैं।
प्री-स्कूल बच्चों के पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय पाठ्यक्रम ढांचा 2022 (एनसीएफ-एफएस) के अनुरूप बनाने और खेल-आधारित गतिविधियों के लिए 'जादुई पिटारा' और 'आधारशिला' पाठ्यक्रम जैसे तरीके अपनाने की सिफारिश की गई है।
राज्यों को प्राथमिकता दी गई है कि ऐसे आंगनवाड़ी केंद्रों का सह-स्थानिकीकरण किया जाए, जिनके पास भवन नहीं है या जो कमजोर वर्गों, आदिवासी क्षेत्रों और प्रवासी परिवारों के बच्चों को सेवा देते हैं।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बच्चों का सही उम्र में कक्षा एक में प्रवेश सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
अधिकारी ने कहा, "हम यूआईडीएआई के साथ बातचीत कर रहे हैं ताकि जन्म के समय दी गई विशिष्ट संख्या बच्चे की संपूर्ण शिक्षा यात्रा पर नजर रखने में सहायक हो सके।"
भाषा और शिक्षण पद्धति पर उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुसार बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने पर जोर दिया जा रहा है।
अधिकारी ने कहा कि दिशानिर्देश जारी करना आसान है, लेकिन प्रभावी क्रियान्वयन असली चुनौती होगी।
अधिकारी ने बताया कि नयी व्यवस्था संसाधनों का बेहतर उपयोग करेगी, बीच में स्कूल छोड़ देने वाले छात्रों की संख्या को कम करेगी और सीखने के परिणाम सुधारने में मदद मिलेगी। (भाषा)