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नयी दिल्ली, 3 सितंबर। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की स्लैब व्यवस्था में व्यापक बदलाव की कवायद बुधवार को जीएसटी परिषद की बैठक के साथ शुरू हो गई। इसमें रोजमर्रा की कई उपभोक्ता वस्तुओं पर कर घटाने और कर ढांचे को सरल बनाने पर चर्चा हुई।
जीएसटी से संबंधित मामलों की सर्वोच्च संस्था जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुरू हुई। इस बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा बृहस्पतिवार को किए जाने की उम्मीद है।
सूत्रों ने कहा कि परिषद ने बैठक के पहले दिन रोजमर्रा के इस्तेमाल वाले कई उत्पादों के अलावा जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कर घटाने और कारोबारों के लिए अनुपालन नियमों को आसान बनाने पर चर्चा हुई।
बैठक में कर ढांचे को चार स्लैब से घटाकर पांच एवं 18 प्रतिशत के दो स्लैब में डालने और बड़ी कारों, तंबाकू एवं सिगरेट जैसी चुनिंदा वस्तुओं को 40 प्रतिशत कर के विशेष स्लैब में रखने से संबंधित अंतिम रूपरेखा पर भी विचार-विमर्श हुआ।
बैठक में मक्खन, घी, ड्राई फ्रूट्स, कंडेंस्ड मिल्क, सॉसेज, मांस, जैम एवं जेली, नारियल पानी, नमकीन, पीने के पानी की 20 लीटर वाली बोतल, फल का गूदा और जूस, दूध वाले पेय, आइसक्रीम, पेस्ट्री, बिस्कुट, कॉर्न फ्लेक्स एवं अनाज जैसे उत्पादों पर कर की दर को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने पर विचार किया गया। बिना पैक खाद्य पदार्थों पर शून्य कर जारी रहेगा।
सूत्रों के मुताबिक, जूते-चप्पल और रेडिमेड कपड़ों पर भी राहत का प्रस्ताव है। अभी तक 1,000 रुपये तक की कीमत वाले उत्पादों पर पांच प्रतिशत और उससे अधिक दाम वाले उत्पादों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
जीएसटी परिषद ने जूते-चप्पल एवं परिधानों पर पांच प्रतिशत कर की सीमा बढ़ाकर 2,500 रुपये करने का फैसला किया है। इससे ऊपर की श्रेणी के रेडिमेड कपड़े एवं जूते 18 प्रतिशत कर के दायरे में आएंगे।
टूथपाउडर, दूध पिलाने वाली बोतल, बर्तन, साइकिल, बांस के फर्नीचर और कंघी जैसी वस्तुओं पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत किए जाने की संभावना है।
वहीं, शैम्पू, टैल्कम पाउडर, टूथपेस्ट, ब्रश, फेस पाउडर, साबुन और हेयर ऑयल पर कर को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने पर चर्चा हुई।
सीमेंट पर कर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत और छोटे पेट्रोल-डीजल वाहनों एवं 350 सीसी इंजन तक के दोपहिया वाहनों पर कर 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत करने पर भी विचार हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि टेलीविजन, एयर कंडीशनर, डिशवॉशर जैसे उपभोक्ता उत्पादों पर भी कर को घटाकर 18 प्रतिशत के स्लैब में लाने का प्रस्ताव है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर जीएसटी दरों में कटौती की घोषणा की थी। यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत तक का शुल्क लगा दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी सुधार लागू होने के दो साल में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में 0.5 प्रतिशत अंक तक की तेजी आ सकती है। ऐसा होने पर अमेरिका की तरफ से लगाए गए उच्च शुल्कों के असर को कम करने में मदद मिलेगी।
इस बीच, जीएसटी बैठक शुरू होने से पहले विपक्षी दलों के शासन वाले आठ राज्यों ने अलग से बैठक कर अपनी रणनीति तय की और दरों में कटौती से होने वाली राजस्व क्षति की भरपाई करने की मांग दोहराई।
झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि उनके राज्य को कर स्लैब में बदलाव से 2,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा और केंद्र को इसकी भरपाई करनी चाहिए।
किशोर ने कहा, ‘‘अगर केंद्र सरकार इस बदलाव से हमें होने वाले नुकसान की भरपाई करने के लिए तैयार हो जाती है तो हमें परिषद की बैठक में रखे जाने वाले एजेंडा को मंजूरी देने में कोई समस्या नहीं है।’’ (भाषा)