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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया है कि इस घटना के मजिस्ट्रियल जांच के निर्देश दिए गए हैं.
हरिद्वार के एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल और डीएम मयूर दीक्षित ने भी कहा है कि भगदड़ कैसे मची, इस पर पुख़्ता जानकारी जांच के बाद मिलेगी.
प्रत्यक्षदर्शी ने क्या बताया
इस घटना में घायल हुए संतोष कुमार ने बताया, "काफ़ी भीड़ थी, पैर रखने की जगह नहीं थी. भीड़ ज़्यादा होने के कारण जब लोग गिरने लगे, तो लोग साइड के दुकानों के पीछे लगी तार पकड़कर चढ़ने लगे. इससे तार नीचे फैल गए और लोगों को करंट लगा."
वहीं हरिद्वार के इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रिब्यूशन सर्कल (ईडीसी) के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर प्रदीप कुमार ने कहा है कि उनके विभाग ने पूरा सिस्टम चेक किया है, कहीं कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई है.
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई से बातचीत में उन्होंने कहा, "शुरुआत में हमें भी ऐसी न्यूज़ आई कि शायद कोई इलेक्ट्रिक करंट या कुछ इस तरह हुआ है. हमारी पूरी टीम मौक़े पर आई. वैसे भी इतनी महत्वपूर्ण जगह की हम नियमित तौर पर हर महीने-15 दिनों पर टेस्टिंग करते रहते हैं."
ईडीसी के सुपरिटेंडिंग इंजीनियर ने कहा, "हमारा सिस्टम बहुत सेक्योर है. कोई नंगे तार नहीं हैं, करंट होने की संभावना नहीं है. आज भी हमने अपने सारे सिस्टम दोबारा चेक किए. हॉस्पिटल से भी कोई करंट रिपोर्टेड नहीं है, ऐसा कुछ भी संज्ञान में नहीं आया है." (bbc.com/hindi)