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रेत माफिया हावी, गैंगवार, गोलीकांड, और वाहन से कुचलने जैसी घटनाएं हो रही
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जुलाई। प्रदेश में अवैध रेत उत्खनन को लेकर मंगलवार को विधानसभा में विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव लाकर चर्चा की मांग की। विपक्षी कांग्रेस सदस्यों ने आरोप लगाया कि रेत माफिया हावी हैं, और गैंगवार, गोलीकांड, तलवारबाजी व वाहन से कुचलने जैसे कृत्य किए जा रहे हैं। आसंदी ने स्थगन प्रस्ताव खारिज कर दिया। इससे नाराज विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल और अन्य कांग्रेस सदस्यों ने काम रोको प्रस्ताव की सूचना दी। नेता प्रतिपक्ष डॉ महंत ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण,और संवर्धन करना राज्य का संवैधानिक उत्तरदायित्व है। राज्य में ऐसी कोई नदी नहीं है, जहां रेत का अवैध उत्खनन नहीं हो रहा हो। अवैध रेत उत्खनन की गतिविधियां खनिज, पर्यावरण, पुलिस और राजस्व विभाग के पूर्ण संरक्षण में चल रहा है।
उन्होंने कहा कि रेत नदियों के लिए रीढ़ की हड्डी के समान होती है किंतु अवैध उत्खनन के कारण हमारी प्राकृतिक धरोहर रूपी नदियां नष्ट होने के कगार पर है। विगत 18 माह में तो स्थिति इतनी अधिक खराब हो चुकी है कि प्रदेश के बाहर के रेत माफियाओं द्वारा गैंगवार, गोलीकांड, तलवार बाजी, चाकूबाजी तथा वाहन से कुचलने जैसे कृत्य किये जा रहे हैं। बलरामपुर में तो एक पुलिस आरक्षक को ही प्रदेश के बाहर के रेत माफियाओं द्वारा वाहन से कुचलकर मार दिया गया। एक घटना में रेत का अवैध उत्खनन करने वालों ने वन विकास निगम के कई अफसरों को बुरी तरह से मार-पीटकर मरणासन्न कर दिया गया।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने कहा कि राजनांदगांव की एक घटना में रेत माफियाओं के द्वारा अवैध रेत उत्खनन का विरोध करने पर ग्रामीणों पर गोली चलाई गईं। राजनांदगांव में अवैध रेत उत्खनन का कार्य पुलिस थाना के टीआई, और जिला खनिज अधिकारी के ही संरक्षण में किया जा रहा था परन्तु इन दोनों अधिकारियों को केवल निलंबित किया गया। आरोपी बनाकर गिरफ्तार नहीं किया गया। राज्य में ऐसे अनेक अधिसूचित रेत खदान है जिनके पट्टे दिये जाने के लिए जानबूझकर निविदाएं आमंत्रित नहीं किये जा रहे है और सत्ता पक्ष के राज नेताओं के द्वारा बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन कराया जा रहा है। रेत के अवैध उत्खनन को बढ़ावा देने के लिए खनिज साधन विभाग रेत उत्खनन पट्टा प्राप्त करने के अलग-अलग जिलों में लगभग 100 से अधिक रेत घाटों को पट्टे पर दिये जाने के आवेदन पत्रों को शासन द्वारा लंबित रखा गया है। ताकि अवैध उत्खनन चलता रहे।
डॉ. महंत ने कहा कि कोरबा के बांगो नदी और बलरामपुर-रामानुंजगंज से रेत का व्यापक अवैध उत्खनन कर सीमावर्ती राज्य मध्यप्रदेश एवं झारखण्ड में विक्रय की जाती है। लीज की शर्तों का घोर उल्लंघन कर सूर्यास्त के पश्चात मशीनों से रेत उत्खनन कर प्रदेश की नदियों को छलनी किया जा रहा है। रेत के अवैध उत्खनन, भण्डारण, परिवहन से शासन के कोष को हजारों करोड़ रूपये की आर्थिक क्षति हो रही है। किसी भी रेत माफिया के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पुलिस थानों में दर्ज नहीं किए जाते है। राज्य शासन द्वारा प्रदेश के सैकड़ों स्थानों पर हजारों घन मीटर रेत का अवैध उत्खनन, परिवहन, अवैध भण्डारण होना स्वीकार किया गया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि रेत माफियाओं द्वारा वर्षा ऋतु में भी अनेक स्थानों पर रेत का उत्खनन किया जा रहा है। रेत माफियाओं के विरुद्ध सरकारी तंत्र द्वारा कोई कार्यवाही नहीं करने, और भ्रष्टाचार के कारण लोगों में रोष व्याप्त है। महंत ने कहा कि 2 हजार से ज्यादा जगह प्रदेश में अवैध रेत का उत्खनन हो रहा है। कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने कहा कि प्रदेशभर में रेत का अवैध उत्खनन हो रहा है, अफसर कहते हैं ऊपर से आदेश है। अवैध उत्खनन बंद होना चाहिए, इसपर स्थगन के जरिए चर्चा जरूरी है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने कहा- रेत माफिया दादागिरी के साथ नदियों से रेत निकालकर खाली कर रहे हैं, रेत माफियाओं के हौसले बुलंद है। काम रोको प्रस्ताव खारिज करने पर नाराज विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआऊट कर दिया।