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मुंबई, 11 जुलाई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को वामपंथी उग्रवादी संगठनों की गतिविधियों पर अंकुश लगाने संबंधी विधेयक को विधानसभा की मंजूरी मिलने की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में सक्रिय लेकिन अन्य राज्यों में प्रतिबंधित ऐसे समूहों पर नकेल कसने के लिए यह आवश्यक था।
साथ ही मुख्यमंत्री ने इसके दुरुपयोग की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया।
फडणवीस ने बताया कि कम से कम छह ऐसे संगठन हैं जो अन्य राज्यों में प्रतिबंधित हैं, लेकिन महाराष्ट्र में अब भी सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि 'विशेष जन सुरक्षा विधेयक' में पर्याप्त कानूनी सुरक्षा उपाय शामिल हैं।
शहरी नक्सलवाद और ‘‘पैसिव मिलिटेंसी’’ पर केंद्रित वामपंथी उग्रवादी संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के उद्देश्य से लाया गया यह विधेयक विधानसभा द्वारा पारित कर दिया गया है। इसके जल्द ही विधान परिषद में पेश किए जाने की उम्मीद है।
‘पैसिव मिलिटेंसी’, संघर्ष का एक तरीका है जिसमें लोग बिना हिंसा का सहारा लिए, सरकार या किसी अधिकार के खिलाफ अपनी असहमति व्यक्त करते हैं।
फडणवीस महाराष्ट्र के गृह मंत्री भी हैं। उन्होंने चरमपंथी संगठनों से निपटने में इस विशेष विधेयक पर जोर दिया और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) जैसे कड़े कानूनों की सीमाओं के बारे में बताया।
फडणवीस ने यहां विधान भवन में पत्रकारों से कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि महाराष्ट्र विशेष सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक 2024 को बृहस्पतिवार को विधानसभा द्वारा मंजूरी दे दी गयी, जिसे पिछले साल दिसंबर में शीतकालीन सत्र के दौरान पेश किया गया था।’’
यह पूछे जाने पर कि विधेयक के कानून बन जाने से कितने संगठन प्रभावित होंगे, इस पर फडणवीस ने कहा, ‘‘राज्य में 64 संगठन सक्रिय हैं, जिनमें से छह पहले से ही इसी तरह के कानूनों के तहत अन्य राज्यों में प्रतिबंधित हैं।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक उन संगठनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है जो खुद को संवैधानिक और लोकतांत्रिक दर्शाते हुए भी भारतीय संविधान को अस्वीकार करने की कोशिश करते हैं।
उन्होंने कहा कि विधानसभा में विधेयक का कोई सीधा विरोध नहीं हुआ। फडणवीस ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि किसी ने भी विधेयक का सीधा विरोध नहीं किया। कई सुझाव आए और उनमें से कई को शामिल किया गया।’’
फडणवीस ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में कहा था कि महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा 64 वामपंथी उग्रवादी संगठन हैं, और चार अन्य राज्यों (जहां पहले से ही ऐसा ही कानून लागू है) में प्रतिबंधित कुछ संगठन अब भी महाराष्ट्र में सक्रिय हैं।
फडणवीस ने दोहराया कि इस विधेयक से लोगों या समूहों के विरोध करने के अधिकारों पर असर नहीं पड़ेगा। (भाषा)