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डरे-सहमे ग्रामीणों ने जंगल की ओर जाना बंद किया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 3 जुलाई। कटघोरा और पसान की ओर से भटककर एक हाथी बीते कई दिनों से रतनपुर ब्लॉक में घूम रहा था, अब इसकी संख्या बढ़कर दो हो गई है। इन हाथियों ने बेलगहना और केंदा के बीच कई खेतों की फसलें उजाड़ दी हैं, जिससे ग्रामीणों में डर का माहौल है।
जानकारी के मुताबिक, पहला हाथी पिछले पांच दिनों से रतनपुर वन परिक्षेत्र में घूम रहा था। यह हाथी बानाबेल सर्कल होते हुए कंचनपुर तक पहुंच गया था। मंगलवार को बेलगहना रेंज में दूसरे हाथी के मूवमेंट की भी पुष्टि हुई है। अब दोनों हाथी रतनपुर के केंदा, बेलगहना और कंचनपुर के बीच मौजूद हैं।
हाथियों ने खेतों में खड़ी धान, मक्का और केला के पेड़ खा लिए हैं। खासकर केले के पेड़ हाथियों की पहली पसंद बने हुए हैं। वन विभाग के मुताबिक हाथी को सलिहा का झाड़ भी बहुत पसंद है और वह इसे पूरी तरह खा जाता है। ऐसे में अगर कोई उसके बीच में आता है, तो हमले का खतरा बना रहता है।
ग्रामीणों ने बताया कि जैसे ही हाथी गांव की सीमा में पहुंचता है, लोग घरों में छिप जाते हैं। खेतों और जंगल की ओर जाने से डर लगने लगा है। कुछ इलाकों में लोगों ने रात को घरों के बाहर निकलना तक बंद कर दिया है।
बिलासपुर वनमंडल को जैसे ही हाथी के मूवमेंट की जानकारी मिली, टीम मौके पर पहुंची। पूरे इलाके में मुनादी करवाई गई और लाउडस्पीकर से अलर्ट जारी किया गया। साथ ही तहसीलदार को भी सूचित किया गया। वन विभाग की टीमें हाथी के डंक (मल) और पैरों के निशान से लगातार उसकी लोकेशन ट्रैक कर रही हैं।
वन विभाग का कहना है कि हाथी झुंड से अलग होकर यहां आ गए हैं, जबकि बाकी झुंड पसान और जटगा की ओर है। फसलों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा देने की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे रात में अकेले खेतों या जंगल की ओर न जाएं, और हाथी को छेड़ने की कोशिश बिलकुल न करें। विभाग की टीम लगातार निगरानी में जुटी है और हाथियों को आबादी वाले इलाकों से दूर करने की कोशिश की जा रही है।