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411 करोड़ का मेडिकल टेंडर घोटाला: श्री शारदा कंपनी के प्रमोटरों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज
02-Apr-2025 10:44 AM
411 करोड़ का मेडिकल टेंडर घोटाला: श्री शारदा कंपनी के प्रमोटरों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज

हाईकोर्ट ने कहा- जांच अभी प्रारंभिक चरण में, राहत का औचित्य नहीं

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 2 अप्रैल। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कार्पोरेशन लिमिटेड (सीजीएमएससीएल ) में 411 करोड़ के टेंडर घोटाले से जुड़े चार आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है और कई आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। प्राथमिक जांच में इनकी संलिप्तता भी सामने आई है।

2021 में सीजीएमएससीएल ने आवश्यक मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति के लिए टेंडर जारी किया था। लेकिन टेंडर की शर्तें इस तरह से बनाई गईं कि सिर्फ तीन कंपनियां ही पात्र हो सकीं। इसको लेकर प्रदेश और देश की अन्य कंपनियों ने आपत्ति जताई, लेकिन राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की।

घोटाले में आरएमएस और श्री शारदा कंपनी के प्रमोटर व डायरेक्टर राजेश गुप्ता, अभिषेक कौशल, नीरज गुप्ता और अविनाश कुमार ने टेंडर में जानबूझकर ऊंची दरें दर्ज कीं। इससे मोक्षित कंपनी को कम दरों के कारण टेंडर मिल गया।

घोटाले की शिकायत के बाद एसीबी  और ईओडब्ल्यू  ने धारा 120-बी, 409 आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया। जांच के दौरान मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद फर्म के अन्य प्रमोटर और डायरेक्टर अविनाश कुमार, राजेश गुप्ता, अभिषेक कौशल और नीरज गुप्ता ने गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी दाखिल की।

याचिका में आरोपियों ने कहा कि एफआईआर में उनका नाम नहीं है, वे केवल कंपनी के प्रमोटर, निदेशक और कर्मचारी हैं और टेंडर प्रक्रिया में उनकी कोई सीधी भूमिका नहीं थी।

राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय ने जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि आरएमएस, मोक्षित कॉर्पोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज ने मिलकर टेंडर में हेरफेर की। तीनों कंपनियों की निविदा दरें, पैकेज और उत्पाद समान थे, जो संदेह को मजबूत करता है।

इसके अलावा, आरोपी अविनाश कुमार पर टेंडर दस्तावेज तैयार करने का आरोप है। जांच में यह भी सामने आया कि मोक्षित कॉर्पोरेशन के पार्टनर शशांक चोपड़ा पहले आरएमएस के लिए लाइजनिंग का काम करते थे, जिससे दोनों कंपनियों के बीच पूर्व से संबंध होने की पुष्टि होती है।

हाईकोर्ट ने कहा कि घोटाले की जांच अभी प्रारंभिक चरण में है। याचिकाकर्ताओं को अभी कोई राहत देने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने यह कहते हुए अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।


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