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संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया ख़ारिज
25-Nov-2024 7:04 PM
संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द से जुड़ी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने किया ख़ारिज

-उमंग पोद्दार

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़ने वाले संशोधन को चुनौती देने वाली याचिका को ख़ारिज कर दिया है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने यह फैसला दिया है.

1976 में इंदीरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने आपातकाल के दौरान यह संशोधन पारित किया था.

याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह संशोधन तब किए गए जब संसद का सत्र समाप्त हो चुका था.

हालांकि जजों की बेंच ने कहा कई अन्य फ़ैसलों में यह साफ किया गया है कि प्रस्तावना संविधान का ही भाग है इसलिए इसमें संशोधन किया जा सकता है. कोर्ट ने आगे कहा धर्मनिरपक्षता को संविधान के मूल ढांचे का भाग माना गया है.

कोर्ट ने कहा समाजवाद शब्द “सरकार की आर्थिक नीतियों को बाधित नहीं करता है”, यह भारत के कल्याणकारी देश होने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

कोर्ट ने आदेश में कहा संशोधन के 44 साल बाद इसे चुनौती देने का हमें कोई कारण और औचित्य नज़र नहीं आ रहा है. कोर्ट ने कहा इन शब्दों को लोगों की स्वीकृति मिली है और देश के लोग इन्हें समझते हैं.

बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी, एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय और बलराम सिंह की ओर से यह याचिका दाखिल की गई थी. (bbc.com/hindi)


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