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दावोस में सोमवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण के दौरान कुछ देर व्यवधान हुआ जिसे लेकर विपक्षी दल कांग्रेस और कुछ अन्य लोगों ने तंज़ कसना शुरू कर दिया.
सोमवार रात को पीएम मोदी के दिए भाषण के वीडियो में दिखता है कि एक जगह वो बार-बार अपनी बाईं ओर देखते हैं, और कुछ सेकेंड की चुप्पी के बाद वो फ़ोरम के अध्यक्ष क्लॉस श्वाब से पूछते हैं कि 'क्या उनकी और उनके दुभाषिये की आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही है.'
इसके बाद वो अपना भाषण दोबारा देने लगते हैं.
भाषण के दौरान बाधा क्यों आई इसे लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बताया गया है, मगर सोशल मीडिया पर अटकलें लगने लगीं कि ऐसा टेलीप्रॉम्प्टर की वजह से हुआ.
कांग्रेस ने इस घटना को लेकर अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट कर लिखा है - "हमें तो टेलीप्रॉम्प्टर ने लूटा, अपनों में कहां दम था."
कांग्रेस की युवा शाखा के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने भी प्रधानमंत्री मोदी की एक तस्वीर ट्वीट की है जिसमें उनके दोनों ओर टेलीप्रॉम्प्टर लगे हैं. उन्होंने साथ ही लिखा है - "मेरे दो अनमोल रतन."
हालाँकि, सोशल मीडिया पर सामग्रियों की विश्वसनीयता की जाँच करनेवाली वेबसाइट ऑल्टन्यूज़ के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा को नहीं लगता कि पीएम मोदी के भाषण में टेलीप्रॉम्प्टर की वजह से व्यवधान हुआ.
प्रतीक सिन्हा ने पीएम के भाषण के एक अन्य स्रोत से जारी किए गए वीडियो को शेयर करते हुए ट्वीट कर लिखा है - "इस बात की संभावना कम है कि प्रधानमंत्री के टेलीप्रॉम्प्टर की वजह से गफ़लत हुई. अगर आप वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम की रिकॉर्डिंग को देखेंगे तो पाएंगे कि पीछे से कोई कह रहा है - सर, आप उनसे एक बार पूछें कि सब जुड़ गया क्या. ये हिस्सा प्रधानमंत्री के यूट्यूब चैनल पर स्ट्रीम किए गए वीडियो में स्पष्ट नहीं है."
प्रतीक एक अन्य ट्वीट में आगे लिखते हैं - "टेलीप्रॉम्प्टर सामान्यतः सामने रहता है. प्रधानमंत्री की लय जब टूटती है, तो वो बगल में देखते हैं, जहाँ शायद इस पीएमओ की ओर से इस इवेंट को मैनेज कर रही टीम थी. ऐसा बहुत मुमकिन है कि इस टीम से कोई उनसे कुछ कहने की कोशिश कर रहा हो."
2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने पटना के गांधी मैदान में जब एक सभा की थी तो उस वक़्त इसे लेकर काफ़ी चर्चा हुई थी.
3 मार्च 2019 को पीएम मोदी ने एनडीए की इस रैली में जब अपना भाषण दिया तो उनके सामने दो टेलीप्रॉम्पटर लगे हुए थे.
ऐसे में तब चर्चा छिड़ी कि जब भीड़ हिन्दी भाषी थी और मोदी को हिन्दी आती है, तो ऐसा क्या हो गया कि मोदी को हिन्दी भाषी लोगों को संबोधित करने के लिए टेलीप्रॉम्पटर की ज़रूरत पड़ी?
तब बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी मोदी के टेलीप्रॉम्प्टर इस्तेमाल करने पर निशाना साधा था. लालू ने ट्वीट कर कहा था, ''बिहार की महान न्यायप्रिय धरा ने औक़ात दिखा दिया. योजना फ़ेल होने की बौखलाहट में आदमी कुछ भी झूठ बक सकता है. जुमले फेंक सकता है. बिहार में संभावित हार की घबहराहट से आत्मविश्वास इतना हिला हुआ है कि अब हिंदी भी "स्पीच टेलीप्रॉम्प्टर में देखकर बोलना पड़ रहा है.''
मगर तब बीजेपी के प्रवक्ताओं ने टेलीप्रॉम्प्टर होने से इनकार कर दिया था, लेकिन रैली के वीडियो और फ़ोटो में साफ़ दिख रहा था कि टेलीप्रॉम्प्टर लगे हुए थे.
पटना में प्रधानमंत्री मोदी की रैली में मंच पर मौजूद अजय आलोक ने तब कहा था, ''प्रधानमंत्री ने अपनी रैलियों में टेलीप्रॉम्पटर का इस्तेमाल कोई पहली बार नहीं किया है. हाल की सभी रैलियों में वो टेलीप्रॉम्पटर का इस्तेमाल करते रहे हैं. दरअसल, वो भाषण की शुरुआत स्थानीय बोलियों में करते हैं. पटना में भी उन्होंने भोजपुरी, मगही और मैथिली में बोला. ये बोलियां उन्हें नहीं आती हैं. ऐसे में इन बोलियों को वो टेलीप्रॉम्पटर के सहारे बोलते हैं.''
वैसे भाषणों के दौरान टेलीप्रॉम्प्टर की सहायता अंतरराष्ट्रीय नेता भी लेते रहे हैं. अपनी वक्तृता के लिए विख्यात अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी टेलीप्रॉम्प्टर की सहायता से भाषण दिया करते थे.
टेलीप्रॉम्प्टर एक मशीन होती है जिसकी सहायता से अभिनेता, समाचार वाचक और राजनेता स्क्रिप्ट पढ़ सकते हैं. (bbc.com)


