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बिलासपुर, 15 जनवरी। राजनांदगांव के एक पुलिस आरक्षक को 27 साल पुराने बर्खास्तगी के मामले में न्याय मिला है। हाईकोर्ट ने उसे सभी सेवा के सभी पुराने लाभ देते हुए 3 माह के भीतर बहाल करने का आदेश दिया है।
आरक्षक महेंद्र कुमार साहू की पत्नी सीमा साहू ने 1 दिसंबर 1994 को आत्महत्या कर ली थी। पुलिस जांच से मालूम हुआ कि मृतका अपने पति के अवैध संबंध के कारण परेशान थी। इसके अलावा पति उसके चरित्र पर शंका करता था और उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करता था। आरक्षक के खिलाफ आईपीसी की धारा 306 और 498 ए के तहत अपराध दर्ज किया गया। पुलिस विभाग ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए 28 फरवरी 1995 को उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया।
निचली कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद 1997 में आरक्षक को दोषमुक्त कर दिया गया लेकिन पुलिस विभाग ने उसकी बहाली नहीं की। ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में शासन की ओर से अपील की गई। हाई कोर्ट ने 15 जनवरी 2014 को निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा।
इसके बाद साहू ने अपनी बहाली के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई। कोर्ट ने तत्कालीन पुलिस अधीक्षक को आरक्षक के अभ्यावेदन का नियमानुसार निराकरण का निर्देश दिया। तब, एसपी ने अभ्यावेदन को नामंजूर कर दिया।
इसके बाद बर्खास्त साहू ने अपनी बहाली के लिये हाईकोर्ट में याचिका पेश की। जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच ने आरक्षक के पक्ष में फैसला देते हुए कहा है कि पुलिस रेगुलेशन के विनियम 241 के तहत उसे बहाली का अधिकार है। हाई कोर्ट ने उसे सेवा के सभी पुराने लाभ देते हुए 3 माह के भीतर बहाल करने का निर्देश दिया है।


