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बिहार: सेनारी नरसंहार मामले में पटना हाईकोर्ट ने सभी दोषियों को बरी किया
21-May-2021 6:22 PM
बिहार: सेनारी नरसंहार मामले में पटना हाईकोर्ट ने सभी दोषियों को बरी किया

सीटू तिवारी

पटना हाईकोर्ट ने 18 मार्च 1999 को हुए सेनारी नरसंहार में सभी 13 दोषियों को बरी कर दिया है. निचली अदालत ने साल 2016 में इन 13 दोषियों में से 10 को फाँसी की सज़ा और तीन को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई थी.

बिहार राज्य बनाम दुखन कहार केस में मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट में जस्टिस अश्विनी कुमार सिंह और अरविन्द श्रीवास्तव की डबल बेंच ने साक्ष्यों के अभाव में सभी दोषियों को बरी कर दिया है.

अधिवक्ता अंशुल राज ने बीबीसी को बताया, “साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने दोषियों को बरी किया है. कोर्ट ने माना कि जब ये रात की घटना थी, रोशनी का कोई स्रोत नहीं था और सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे थे तो दोषियों की पहचान कैसे की जा सकती थी. अनुसंधान में कमियों और शुरूआती एफ़आईआर में दोषियों के नामित नहीं होने के चलते हाईकोर्ट ने सभी दोषियों को बरी कर दिया.”

बिहार के अरवल ज़िले के सेनारी गांव में 18 मार्च 1999 की रात को एक ख़ास अगड़ी जाति के 34 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी हई थी.उस वक़्त रात तक़रीबन आठ बजे के आसपास गांव के 34 लोगों को ठाकुरबाड़ी मंदिर के पास बुलाकर हत्या की गई थी.

ठाकुरबाड़ी में जहां ये नरसंहार अंजाम दिया गया था वहां की वीभत्स तस्वीर का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांव के ही ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश पद्म नारायण सिंह की घटनास्थल पर पहुँचने के बाद वहां की तस्वीर देखकर ही हार्ट अटैक से मौक़े पर मौत हो गई थी.

सेनारी गांव के पंकज कुमार ने अपने चाचा अवध किशोर शर्मा और भाई अविनाश कुमार को इस नरसंहार में खोया था.

बीबीसी से हाईकोर्ट के फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होने कहा, “ ये जाँच एजेंसियों की विफलता ही कही जाएगी, बाक़ी अब और क्या कहा जा सकता है.”

वहीं 60 साल की ब्रहॉ देवी ने इस नरसंहार में अपने पति रामश्लोक शर्मा और बेटे संजीव कुमार को खोया है.

इस नरसंहार के बाद अपने बड़े से घर में अकेले रहने को मजबूर हैं.

नरसंहार के बारे में पूछने पर वो बस इतना कहती है, “हृदय सूख गया और इस गांव में औरतें या तो अकेले रहने को मजबूर हैं या फिर घर में ताला लगाकर सब परिवार चला गया. गांव की रौनक़ कभी नहीं लौटेगी.”

माना जाता है कि सेनारी नरसंहार, दिसंबर 1997 में हुए लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार और 25 जनवरी 1999 को हुए शंकरबिगहा नरसंहार का बदला था. शंकरबिगहा में 22 और 58 दलित पिछड़ों की हत्या हुई थी.

लक्ष्मणपुर बाथे नरसंहार में सबसे ज़्यादा महिलाओं की हत्या हुई थी.

58 दलितों में से 32 महिलाएं थी जिसमें 1.5 साल की एक बच्ची भी थी.

दलित चिंतक प्रेम कुमार मणि की किताब ‘ख़ूनी खेल के इर्द गिर्द’ में दिए गए ब्यौरे के मुताबिक़ बिहार में तक़रीबन 76 नरसंहार हुए.

इसमें से 19 नरसंहार को अंजाम देने का आरोप रणवीर सेना पर था. सबसे आख़िरी नरसंहार साल 2000 में राज्य के औरंगाबाद ज़िले के मियापुर गांव में हुआ था. (bbc.com)


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