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बीजापुर-सुकमा में 21 को नक्सल बंद का आह्वान
भीड़ पर गिरे आंसू गैस, कैम्प पर पत्थरबाजी फिर न जाने कैसे बने ये हालात...
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दोरनापाल, 20 मई। देर रात को ग्रामीण प्रदर्शन स्थल सिलगेर कैंप से वापस लौटकर आ गए हैं। ग्रामीणों के अनुसार आगे की रणनीति तय कर सकते हैं। वहीं सिलगेर कैंप में गोलीबारी के विरोध में नक्सली संगठन दक्षिण सब जोनल ब्यूरो ने भी सरकार और पुलिस के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं और इसके विरोध में पर्चे जारी कर सुकमा-बीजापुर में 21 मई को बंद का आह्वान किया है। पर्चे में बस्तर आईजी, बीजापुर एसपी व सिलगेर सीआरपीएफ जवानों पर कार्रवाई की मांग की गई है।
मीडिया ने बताया कि 19 मई बुधवार को ग्रामीणों के तीनों शव को उनके गृहग्राम लाया गया, जहां पारंपरिक रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया।
ज्ञात हो कि सुकमा जिले के सिलगेर में बने नए कैम्प को लेकर बुधवार भी गहमागहमी बनी हुई है। पिछले एक हफ्ते में लगातार ग्रामीणों का विरोध यहां जारी रहा और इसी बीच एक खूनी संघर्ष भी देखने को मिला, जिसमें गोलीबारी के बीच तीन ग्रामीणों की मौत हुई, वहीं कुछ ग्रामीणों की गोली लगने के अलावा अन्य तरीके से कुल 18 घायल ग्रामीणों को बीजापुर के जिला अस्पताल में उपचार कराया गया।
पोस्टमार्टम के बाद शवों को बुधवार शाम को उनके गृहग्राम भेजा गया। इसके बाद देर शाम को दोबारा उस कैंप में बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे और फिर से कैंप का विरोध पुरजोर तरीके से शुरू हुआ। इस विरोध के बीच 17 मई की घटना से जुड़ा एक वीडियो ‘छत्तीसगढ़’ के हाथ लगा। इस वीडियो में प्रदर्शनकारियों और जवानों के बीच हुई घटना देखी गई। वीडियो 2 मिनट 9 सेकंड की है।
इस वीडियो में देखा गया के प्रदर्शनकारी पुरजोर तरीके से कैंप का विरोध कर रहे हैं और अचानक ही न जाने ऐसा क्या हुआ कि ग्रामीण तेजी से कैंप का विरोध कर चिल्लाते दिखाई दिए और इसी बीच जवानों की तरफ से आंसू गैस के गोले भीड़ पर दागे गए, जिसके बाद जगह-जगह धुंआ-धुंआ हो गया। कुछ आंसू गैस के गोले को ग्रामीण पत्थरों से मार-मार कर बुझाते भी वीडियो में देखे जा रहे है, वहीं इस पूरी घटना के बाद ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता भी दिखाई दे रहा है और इसी बीच तेजी से ग्रामीण कैंप की तरफ बढ़ रहे हैं। संघर्ष इतना आक्रोश भरा हो गया कि ग्रामीण पत्थरबाजी पर भी उतारू हो गए।
इसी दौरान हवाई फायर सुरक्षा बलों की तरफ से किया जाता है और इस फायर के बाद वहां भगदड़ मच जाती है। बड़ी संख्या में ग्रामीण जो कैंप की तरफ़ विरोध के लिए बढ़ रहे थे, वह वापस गांव की तरफ भागते दिखाई देते हैं और गोलियों की आवाज भी बढ़ती दिखती है। पुलिस का दावा यह है कि ग्रामीण कैंप का विरोध करने आए थे। इसी दौरान नक्सलियों से उनकी मुठभेड़ हुई।
‘छत्तीसगढ़’ अखबार ये दावा नहीं करता कि गोलीबारी पत्थरबाजी पहले हुई या बाद में, वीडियो के आधार पर क्रमश: घटनाक्रम का जिक्र खबरों में किया जा रहा। जबकि ग्रामीण पुलिस के दावे को सिरे से नकारते हुए इसे झूठा बता रही है।
विरोध के दौरान भीड़ में से एक महिला ने ‘छत्तीसगढ़’ से बातचीत में कहा कि हमें बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है सडक़, अस्पताल, स्कूल, आंगनबाड़ी इनकी जरूरतें हैं, जो पूरी होनी चाहिए। बुनियादी जरूरतों की बजाए सरकार गांव को मध्य कैंप थोप रही है ।
ग्रामीणों का दावा पुलिस ने किया गोलीबारी और लाठीचार्ज
गौरतलब है कि सिलगेर में बीते 17 मई को हुई घटना के बाद ‘छत्तीसगढ़’ की टीम 19 मई को सिलगेर गांव पहुंची, जहां ग्रामीणों ने कुछ आंकड़े ‘छत्तीसगढ़’ को दिए। ग्रामीणों ने बताया कि दूरदराज के दर्जनों गांवों से ग्रामीणों ने एकजुट होकर कैंप के विरोध में संघर्ष करने और कैंप हटाने का निर्णय लिया था, जिसके बाद कैंप का विरोध जारी था। ग्रामीणों ने सुरक्षाबलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि 17 मई को कोई नक्सली मुठभेड़ नहीं हुई थी, बल्कि एक तरफा कार्रवाई की गई है। आंसू गैस के गोले दागे गए, फिर फायरिंग के साथ लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें करीब 400 लोगों से मारपीट का आरोप ग्रामीण लगा रहे हैं, साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि इस पूरे घटना में लगभग 31 लोग घायल हुए थे, जिनमें से 18 का उपचार प्रशासन द्वारा बीजापुर जिला अस्पताल में किया गया, वहीं तीन ग्रामीणों की मौत हुई है। इसके अलावा 9 अन्य ग्रामीण जो अलग-अलग गांव के थे, वह लापता बताए जा रहे हैं।
जिन प्रदर्शनकारी ग्रामीणों के घटना के दौरान से लापता होने की बात ग्रामीण कह रहे हैं, उनके नाम ग्रामीणों ने ही दिए- माड़वी कोसा तुमलपेंटा, पोडियम लिंगा गोंदपल्ली, पुनेम सोनल कोण्डासांवली, मडक़म हूँगा पेदागेलूर, कुंजाम आयतु पेदागेलूर, मडक़म लखमाल पेदागेलूर, मडक़म मासे बोमेड़, मीडियम सोमउ पूवर्ती, कुंजाम भीमा गुंडम।
पुलिस का दावा विरोध की आड़ में हिंसक प्रयास
इस पूरी घटना पर बस्तर के आईजी पी. सुंदरराज ने कहा कि यह पूरा घटनाक्रम सुनियोजित है। ग्रामीणों के वीडियो में दिख रही है इस भीड़ में नक्सलियों के कुछ लोग भी आए हुए थे, जिन्होंने इस पूरे विरोध को हिंसात्मक बनाने का प्रयास किया। विरोध के दौरान कई जवानों ने देखा कि छिंद के पत्ते में आग लगाकर एंटीलैंडमाइन व्हीकल के ऊपर देखने का प्रयास भी कुछ लोगों द्वारा किया जाता रहा। हमारे द्वारा लगातार समन्वय बनाने का प्रयास किया जाता रहा। इससे पहले कई कैंप हमारे द्वारा बस्तर के अलग-अलग इलाके में खोले गए, जिसके बाद चुनौतीपूर्ण इलाके को भी विकसित किया जा सका। इसी बात का डर नक्सलियों को है, जिस वजह से ग्रामीणों की भीड़ में नक्सलियों के कुछ लोग शामिल होकर इस पूरे विरोध को हिंसात्मक बनाने का प्रयास किए।
बस्तर आईजी ने यह भी दावा किया कि यह घटनाक्रम नक्सल प्रायोजित है, जिसमें पामेड़ एरिया कमेटी व जगरगुंडा एरिया कमेटी के जुड़े लोग इस प्रदर्शन में शामिल हुए। इस घटना में सिलगेर का कोई भी व्यक्ति न मारा गया और न घायल हुआ, 15-20 किलोमीटर के दूरदराज इलाकों से चुन-चुन कर कैंप के विरोध में लोगों को लाया गया था।
नक्सलियों का सुनियोजित षड्यंत्र है ये विरोध-आईजी
बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने इस वीडियो के सामने आने के बाद कहा है कि ये विरोध ग्रामीणों की आड़ में दबाव बनाकर नक्सली ही कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम में 3 ग्रामीणों की मौत हुई, लेकिन इनमें से एक भी ग्रामीण सिलगेर का नहीं है। इन ग्रामीणों के शव को उनके गृह ग्राम 19 मई को शाम तक भेज दिया गया। ग्रामीणों का यह विरोध नक्सलियों का सुनियोजित षड्यंत्र है, जो कैंप को हटाने के लिए किया जा रहा है क्योंकि जो भी ग्रामीण मारे गए हैं, उनमें से एक भी सिलगेर का नहीं है और नक्सलियों द्वारा कैंप का विरोध करने दूरदराज के गांवों तक से ग्रामीणों को कैंप के विरोध में भडक़ाकर उकसा कर इकट्ठा किया गया क्योंकि नक्सली नहीं चाहते कि इन गांवों में कैंप बने और विकास पहुंचे। विरोध करने ग्रामीणों को सामने ला रहे हैं ताकि किसी तरह का दबाव बनाकर कैंप को हटाया जा सके। वह इलाका नक्सलियों का स्वतंत्र और खुला इलाका माना जाता रहा है, जहां रात दिन नक्सली खुलेआम आते जाते रहे हैं कैंप खुलने के बाद से नक्सलियों पर दबाव पड़ेगा और उन इलाकों को नक्सल मुक्त किया जाएगा। नक्सलियों को इस बात का डर है इस वजह से नक्सली ग्रामीणों के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रहे हैं ताकि ग्रामीण निशाना बने।