कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 22 अक्टूबर। कोण्डागांव जिले में लंबे समय से नक्सल हिंसा से जूझ रहे आदिवासी युवाओं के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने और उग्रवाद के प्रभाव को कम करने के लिए एक क्रांतिकारी पहल की जा रही है। कलेक्टर कुणाल दुदावत के नेतृत्व में जिला प्रशासन ‘कल्पना कक्ष’ (लाइब्रेरी) की स्थापना आदिवासी छात्रावासों में कर रहा है। इस दूरदर्शी परियोजना का उद्देश्य छात्रों में अध्ययन की आदत विकसित करना और उनके लिए एक सकारात्मक शैक्षिक वातावरण तैयार करना है, जो उन्हें कट्टरपंथ से दूर रखेगा।
इस पहल के अंतर्गत न केवल पारंपरिक पुस्तकों का प्रावधान किया जा रहा है, बल्कि डिजिटल लर्निंग संसाधनों, एसटीईएम किट्स, और अंग्रेजी सीखने की सामग्री तक पहुंच भी प्रदान की जा रही है। पुस्तकालयों के साथ वैकल्पिक रूप से एसटीईएम लैब्स भी तैयार की जा रही हैं, जिनमें छात्रों के लिए कंप्यूटर, स्मार्ट टीवी, इंटरनेट कनेक्टिविटी और चयनित डिजिटल सामग्री उपलब्ध होगी। यह पहल एक संरचित और आकर्षक शैक्षिक माहौल प्रदान करके छात्रों को उनके सपनों की ओर बढऩे का अवसर देगी, जिससे वे अपनी वर्तमान परिस्थितियों से आगे बढ़ सकें।
जिले के विभिन्न छात्रावासों में किए गए एक सर्वेक्षण में इस परियोजना को लागू करने में कई चुनौतियों का पता चला। इनमें बिना प्रशिक्षित स्टाफ द्वारा खराब क्रियान्वयन, स्थान की कमी और अव्यवस्थित सामग्री का भंडारण शामिल हैं। स्मार्ट टीवी और कंप्यूटर भी उपेक्षा के कारण बेकार पड़े हैं। इसके अलावा, कार्यशील वाई-फाई की कमी और एक संरचित पाठ्यक्रम के अभाव ने सतत शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया को बाधित किया है। बिजली आपूर्ति के अनियमित रहने के कारण निर्बाध शिक्षा के लिए एक बैकअप सिस्टम की भी आवश्यकता महसूस की जा रही है।
इन चुनौतियों के बावजूद छात्रों में उत्साह स्पष्ट है। नई लाइब्रेरी के प्रति उनकी रुचि और संसाधनों के उपयोग की तत्परता ने इस पहल की सफलता की दिशा में आशा की किरण जगाई है।
परियोजना की सफलता के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण
इस पहल को सफल बनाने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया गया है। वरिष्ठ छात्रों को लाइब्रेरी प्रबंधन में प्रशिक्षित किया जाएगा, जिससे उनमें नेतृत्व कौशल और जिम्मेदारी की भावना विकसित होगी। एक तकनीकी ऑडिट भी किया जाएगा, जिससे मौजूदा उपकरणों की मरम्मत की जाएगी और लागत कम की जाएगी। छात्रों की सीखने की क्षमता और उत्साह को इस पहल की सफलता के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।
यह पहल राज्य जनजातीय निधि और जिला खनिज निधि के अभिसरण के माध्यम से शुरू की गई है। पहले चरण में 10 आदिवासी छात्रावासों में इसे लागू किया गया है, जबकि अगले चरणों में जिले के शेष 124 छात्रावासों में इसका विस्तार किया जाएगा।
पुस्तकालयों और वैकल्पिक एसटीईएम लैब्स की योजना में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कंप्यूटर और स्मार्ट टीवी चालू रहें, इंटरनेट की सुविधा हो, और ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से शैक्षिक सामग्री उपलब्ध हो। साथ ही कंप्यूटर और अंग्रेजी सीखने के लिए एक संरचित पाठ्यक्रम भी तैयार किया जाएगा, और एक मजबूत जवाबदेही प्रणाली स्थापित की जाएगी ताकि इस परियोजना का सुचारू रूप से क्रियान्वयन हो सके।
इस परियोजना का लक्ष्य सिर्फ बुनियादी ढांचे में सुधार करना नहीं है, बल्कि इसके प्रभाव को मापने के लिए सर्वेक्षण, माप और दृश्य रिकॉर्डिंग के माध्यम से च्पहले और बादज् की स्थिति का दस्तावेजीकरण भी किया जाएगा। विद्युत मरम्मत, नई पेंटिंग, फर्श उन्नयन, और नए फर्नीचर एवं अध्ययन उपकरणों की स्थापना से छात्रों के लिए एक स्वागतयोग्य और सुसज्जित वातावरण सुनिश्चित किया जाएगा।
यह परियोजना न केवल अकादमिक सफलता के साधन प्रदान करती है, बल्कि आदिवासी बच्चों के लिए एक सुरक्षित स्थान भी तैयार करती है, जहां वे संघर्ष क्षेत्र की अनिश्चितताओं से दूर शिक्षा के माध्यम से अपने जीवन को संवार सकें। च्कल्पना कक्षज् अध्ययन कक्ष एक शांतिपूर्ण और समृद्ध भविष्य की ओर आदिवासी बच्चों को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
उम्मीद की किरण
जहां एक ओर इस क्षेत्र में संघर्ष ने उम्मीदों को धुंधला कर दिया है, वहीं यह पहल शिक्षा और विकास के अवसरों को नए आयाम देकर इस क्षेत्र में बदलाव की एक नई रोशनी लेकर आई है।