कोण्डागांव

आंबा कार्यकर्ता रजबती की आईजी-कलेक्टर ने की थी प्रशंसा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 6 अगस्त। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रजबती अतिसंवेदनशील क्षेत्र में बच्चों को सुपोषित करने का प्रयास कर रही हैं। नंगत पिला कार्यक्रम की सफलता के लिए वे अण्डों की टोकरी लिए 24 किमी का सफर तय करती हैं।
रजबती बघेल के कार्यों के संबंध में अपने बेचा दौरे के समय बस्तर के आईजी सुंदरराज पी. और कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा को जानकारी प्राप्त होने पर उन्होंने रजबती से मिलकर उनके द्वारा क्षेत्र के बच्चों के लिये किये जा रहे कार्यों की सराहना की थी।
जिले के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे ग्रामों में अतिवाद के पनपने से यह क्षेत्र वर्षों से विकास की मुख्यधारा से अलग रहे हैं। ऐसे में यहां अशिक्षा, पिछड़ेपन की वजह से कई प्रकार की समस्याओं ने जन्म लिया है। जिसमें कुपोषण एक मुख्य समस्या बनकर उभरी है। कुपोषण से इन क्षेत्रों में युवाओं का एक वर्ग ऐसा उभरा जिसकी बचपन से ही कार्यक्षमता अन्य सामान्य बच्चों से कम हो जाती है। चूंकि बच्चे किसी भी समाज के विकास के आधार स्तम्भ होते हैं ये आधार स्तम्भ खोखला रह जाता है। जिसपर विकसित समाज को अपने पैरों पर खड़ा नहीं किया जा सकता। ऐसे में कुछ कर्तव्य परायण शासकीय मैदानी कर्मचारियों द्वारा अपनी पूर्ण कार्यक्षमता से बच्चों को कुपोषण के कुचक्र से निकालने के लिये लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसी का उदाहरण कोण्डागांव विकासखण्ड के अतिसंवेदनशील ग्राम कड़ेनार के चिकपाल में स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र की कार्यकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है।
अबूझमाड़ से सटे धुर नक्सल प्रभावित ग्राम कडेनार के चिकपाल पारा में वर्ष 2009 में आंगनबाड़ी केंद्र की स्थापना के बाद से कार्यरत् आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रजबती बघेल पूर्ण निष्ठा के साथ इन संवेदनशील ग्रामों में बच्चों को सुपोषित करने का प्रयास कर रहीं हैं। कोरोना की प्रथम लहर के दौरान बच्चों में सुपोषण स्तर बनाये रखने के लिये सूखे राशन का वितरण करते हुए लगातार चकमक एवं सजग कार्यक्रम के क्रियान्वयन के द्वारा बच्चों को पढ़ाई से भी जोड़े रखने का प्रयास किया गया। इसके साथ ही जिले में सुपोषण अभियान के अंतर्गत चलाये जा रहे नंगत पिला कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये कोरोना की द्वितीय लहर के दौरान जब लोग घरों से निकलने में कतरा रहे थे। ऐसी स्थिति में भी कार्यकर्ता ‘रजबती बघेल‘ द्वारा घर-घर जाकर बच्चों के वजन एवं ऊंचाई का मापन कर कुपोषण की जांच का कार्य पूर्ण निष्ठा से किया गया।