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काशी विवि में पत्रकारिता पर प्रो. यादव ने रखी बात
16-Sep-2025 4:11 PM
काशी विवि में पत्रकारिता पर प्रो. यादव ने रखी बात

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

खैरागढ़, 16 सितंबर। इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के प्रो. राजन यादव, अध्यक्ष हिंदी विभाग, अधिष्ठाता लोकसंगीत एवं कला संकाय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में  13 सितंबर को संसाधन व्यक्ति (रिसोर्स पर्सन) के रूप में आमंत्रित हुए।

यूजीसी मालवीय मिशन शिक्षण प्रशिक्षण केन्द्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कार्यरत हिंदी विषय के सहायक प्राध्यापकों के लिए 8 से 20 सितंबर हिन्दी विषय का पुनश्चर्या  पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के सहायक प्राध्यापक प्रशिक्षण ले रहे हैं।

इस कार्यक्रम में प्रो यादव ने ‘हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता: तब और अब’विषय पर व्याख्यान दिया। प्रो यादव ने बताया कि जन मानस की सहज अभिव्यक्ति ही पत्रकारिता है। स्वतंत्रता की वाणी होने के साथ पत्रकारिता जीवन में अभूतपूर्व क्रांति की अग्रदूतिका है ।इसकी विकास यात्रा बहुत लम्बी है। उस जमाने के प्रथम पंक्ति के स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार किसी न किसी पत्र-पत्रिका से जुड़े हुए थे। आरंभ में मालवीय मिशन के निदेशक प्रो आनंदवर्धन, डॉ. गहलोत एवं डॉ. हरिश यादव ने प्रो. यादव का स्वागत किया।

प्रो. यादव का दूसरा व्याख्यान महिला महाविद्यालय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो रीता सिंह ने की। ‘हिन्दी साहित्य का वैविध्य: साहित्य और संस्कृति’ विषय पर बोलते हुए प्रो यादव ने रेखांकित किया कि गुरु गोरखनाथ से लेकर आज के कवि, साहित्यकारो की भाषा एवं कृतियों में विविधता है। भारत की मूल ऊर्जा का मूल आधार हिंदी प्रदेश है। विविध होता हुआ सारा भारतवर्ष एक है साहित्य में इसी की अभिव्यक्ति हुई है।

हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शिक्षक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।


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