कवर्धा

'छत्तीसगढ़' संवाददाता
कवर्धा, 30 दिसंबर। वीर बाल दिवस के अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों के अमर बलिदान को समर्पित संगोष्ठी पर मात्स्यिकी महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य विषय वक्ता के रूप में कवर्धा जनपद की अध्यक्ष इंद्राणी चंद्रवंशी शामिल हुईं।
इस मौके पर वीर बाल दिवस कार्यक्रम के जिला संयोजक जसविंदर बग्गा, दिनेश चंद्रवंशी,हर्ष खुराना, गोवर्धन ठाकुर सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने वीर साहिबजादों के बलिदान को रेखांकित करती हुई पोस्टर भी बनाए। महाविद्यालय की विद्यार्थियों ने भी भाषण शैली में अपने विचार रखे।
महाविद्यालय सभागार में आयोजित बौद्धिक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए इंद्राणी चंद्रवंशी ने कहा कि आज का यह दिन हमारे इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय लेकर आया है। हम सभी यहां वीर बाल दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। यह दिवस हमें अपने देश के उन वीर बालकों की महान गाथाओं की याद दिलाता है, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और अडिग निष्ठा से इतिहास में अमर स्थान बनाया।
उन्होंने आगे कहा कि मैं यहां विशेष रूप से साहबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह के अद्वितीय बलिदान को स्मरण करना चाहती हूं। ये दोनों बालक, गुरु गोबिंद सिंह जी के पुत्र, जिनकी आयु मात्र 9 और 6 वर्ष थी, उन्होंने धर्म और आस्था की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया, वह इतिहास में अनुपम और अद्वितीय है।
वीर बाल दिवस कार्यक्रम संयोजक जसविंदर बग्गा ने विस्तृत विषय रखते हुए कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि इन नन्हे साहबजादों ने एक क्रूर और अन्यायपूर्ण सत्ता के सामने झुकने से इनकार कर दिया। उनकी दृढ़ता और साहस ने यह साबित कर दिया कि सच्चाई और धर्म की शक्ति के सामने कोई भी ताकत टिक नहीं सकती। उन्हें जिंदा दीवार में चुनवा दिया गया,लेकिन उनका साहस अडिग रहा। यह बलिदान हमें सिखाता है कि जब हमारी संस्कृति, हमारी आस्था और हमारे मूल्यों पर संकट आए, तो हमें किसी भी कीमत पर अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करना चाहिए। आज का दिन केवल इतिहास को याद करने का नहीं, बल्कि उससे प्रेरणा लेने का भी है। हमारे देश के लाखों बच्चे और युवा इन साहिबजादों की गाथाओं से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में साहस, ईमानदारी और निष्ठा के मूल्यों को आत्मसात कर सकते हैं। वीर बाल दिवस मनाने का अर्थ केवल अतीत को याद करना नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि हम अपने बच्चों और युवाओं को ऐसी शिक्षा और संस्कार दें, जिससे वे साहस और सच्चाई के मार्ग पर चल सकें। यह दिवस हमें अपने आने वाली पीढिय़ों को बताने का अवसर देता है कि भारत का इतिहास केवल राजा- महाराजाओं का नहीं, बल्कि उन बालकों का भी है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमारे मूल्यों की रक्षा की।