कांकेर

कांकेर, 7 सितंबर। जेपी इंटरनेशनल स्कूल ने बताया कि सब धरती कागज करूँ, लेखनी सब बनराय, सात समुद्र की मसि करूँ, गुरु गुण लिखा न जाए। अर्थात् संपूर्ण पृथ्वी को कागज बना लिया जाए, समस्त जंगल की लकडिय़ों को कलम और सातों समुद्र के जल को स्याही बना लिया जाए तो भी गुरु की महिमा का वर्णन करना संभव नहीं है।
स्कूल ने बताया कि उक्त दोहे के अर्थ को चरित्रार्थ करने के संकल्प के साथ जे पी इंटरनेशनल स्कूल में गुरुवार को शिक्षक दिवस मनाया गया। गुरु-शिष्य परंपरा भारत की संस्कृति का एक अहम और पवित्र हिस्सा है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए प्रतिवर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्कूल ने बताया कि विद्यालय मे प्रात:काल से ही विद्यार्थियों ने अपने शिक्षक-शिक्षिकाओं को फूल, कार्ड और ढेर सारी शुभकामनायें देकर बधाई दी। इस स्वर्णिम अवसर पर विद्यालय में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। कक्षा ग्यारहवीं एवं बारहवीं के विद्यार्थी अपने प्रिय शिक्षक एवं शिक्षिकाओं की प्रतिकृति बनकर आये एवं प्रार्थना सभा के समापन के पश्चात शिक्षकों के साथ ही उनकी कक्षाएं संचालित की। इस अवसर पर विद्यालय प्रांगण में विशेष कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।