अंतरराष्ट्रीय
सिडनी/हैदराबाद, 16 दिसंबर। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर के बॉन्डी बीच पर रविवार, 14 दिसंबर 2025 को एक सार्वजनिक हनुक्का समारोह के दौरान हुई सामूहिक गोलीबारी की घटना ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया है। इस हमले में 15 लोगों की मौत हो गई, जबकि एक हमलावर भी मारा गया। ऑस्ट्रेलियाई पुलिस और सरकार ने इस घटना को आतंकवादी हमला करार दिया है।
इस बीच, भारत में तेलंगाना पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ने इस मामले में एक विस्तृत प्रेस नोट जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि इस हमले के आरोपियों की कट्टरता या गतिविधियों का भारत, तेलंगाना या किसी स्थानीय प्रभाव से कोई संबंध नहीं पाया गया है।
प्रेस नोट के अनुसार, इस हमले के दो आरोपी साजिद अकरम (उम्र लगभग 50 वर्ष) और उनका बेटा नावेद अकरम (उम्र लगभग 24 वर्ष) थे। दोनों को इस आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार बताया गया है। जांच एजेंसियों के शुरुआती आकलन में सामने आया है कि दोनों कथित रूप से आईएसआईएस जैसी आतंकी विचारधारा से प्रभावित थे।
तेलंगाना डीजीपी के अनुसार, साजिद अकरम मूल रूप से हैदराबाद के रहने वाले थे। उन्होंने हैदराबाद से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी की थी और लगभग 27 वर्ष पहले, नवंबर 1998 में रोजगार की तलाश में ऑस्ट्रेलिया चले गए थे। ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने एक यूरोपीय मूल की महिला वेनेरा ग्रोसो से विवाह किया और वहीं स्थायी रूप से बस गए।
प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि साजिद अकरम अब तक भारतीय पासपोर्ट धारक थे, जबकि उनके बेटे नावेद अकरम और बेटी का जन्म ऑस्ट्रेलिया में हुआ और वे दोनों ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं।
तेलंगाना पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि साजिद अकरम का पिछले 27 वर्षों में भारत से बहुत सीमित संपर्क रहा। वे इस दौरान केवल छह बार भारत आए, और वे यात्राएं भी मुख्यतः पारिवारिक कारणों से थीं—जैसे संपत्ति संबंधी काम या बुज़ुर्ग माता-पिता से मिलने के लिए। यहां तक कि अपने पिता के निधन के समय भी साजिद अकरम भारत नहीं आए थे।
डीजीपी के अनुसार, साजिद अकरम के परिवारजनों ने भी यह जानकारी दी है कि उन्हें उनके या उनके बेटे के किसी कट्टरपंथी झुकाव या गतिविधियों की कोई जानकारी नहीं थी। परिवार का कहना है कि उन्हें इस तरह की किसी मानसिक या वैचारिक कट्टरता के संकेत कभी नहीं मिले।
तेलंगाना पुलिस ने साफ़ शब्दों में कहा है कि साजिद अकरम के भारत में रहने के दौरान उनके खिलाफ कोई आपराधिक या संदिग्ध रिकॉर्ड नहीं रहा। वर्ष 1998 में भारत छोड़ने से पहले उनके खिलाफ किसी तरह की नकारात्मक पुलिस प्रविष्टि नहीं पाई गई है।


