अंतरराष्ट्रीय
सोमवार रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में हो रही एक बैठक के दौरान वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट से पूछा, "भारत, अमेरिका में अपना चावल लगातार डंप कर रहा है. उन्हें ऐसा क्यों करने दिया जा रहा है? उन्हें इसके लिए टैरिफ़ देना होगा. क्या उन्हें चावल के मामले में टैरिफ़ से छूट मिली है?"
जिसके जवाब में स्कॉट बेसेंट ने कहा, "नहीं सर. हमारी उनसे ट्रेड डील पर बातचीत अब भी चल रही है."
जवाब में ट्रंप ने कहा, "हां, लेकिन वो इस तरह से अपना चावल यहां नहीं भेज सकते. उन्हें इसकी इजाज़त नहीं दी जा सकती."
इस बैठक में इस बात पर चर्चा की जा रही थी कि अमेरिकी किसानों के हितों की रक्षा कैसे की जाए? इसी दौरान डोनाल्ड ट्रंप और स्कॉट बेसेंट के बीच ये बातचीत हुई.
इसी दौरान ट्रंप ने एलान किया कि दूसरे देशों पर लगाए गए टैरिफ़ से अमेरिका को जो रकम हासिल हो रही है उसमें से 12 अरब डॉलर अमेरिकी किसानों को आर्थिक मदद के तौर पर दिए जाएंगे.
इस घटनाक्रम के बाद आशंका ज़ाहिर की जा रही है कि क्या अब चावल के बहाने ट्रंप भारत पर फिर से नए टैरिफ़ लगाएंगे?
मौजूदा समय में अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ़ लगा रखे हैं. इसमें रूस से तेल ख़रीदने के एवज़ में पेनल्टी के बतौर लगाए गए 25 फ़ीसदी टैरिफ़ शामिल हैं.
क्या है मामला?
ट्रंप ने भारत के अमेरिका को चावल निर्यात करने के लिए 'डंपिंग' शब्द का इस्तेमाल किया और कहा कि 'भारत इस तरह से अपना चावल अमेरिका में डंप नहीं कर सकता और वो इस बात का ध्यान रखेंगे.'
अमेरिका के बड़े हिस्से में किसानों का आरोप है कि भारत, वियतनाम और थाईलैंड जैसे देश अमेरिका को चावल समेत दूसरे कृषि उत्पाद कम क़ीमतों में निर्यात करते हैं जिससे 'उनके हितों को ख़तरा है.'
व्हाइट हाउस में आयोजित इस बैठक में किसानों की एक प्रतिनिधि ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि 'पिछली सरकार की नीतियों और बढ़ती महंगाई से किसान पहले से ही परेशान हैं.'
किसान समुदाय अमेरिका में ट्रंप का समर्थक माना जाता है लेकिन हाल के सालों में वहां के किसान बढ़ती लागत और अस्थिर क़ीमतों से जूझ रहे हैं.
भारत में अमेरिकी कृषि उत्पादों पर औसतन 37.7% टैरिफ़ लगाया जाता है, जबकि अमेरिका में भारतीय कृषि उत्पादों पर यह दर 5.3% थी. लेकिन ट्रंप के भारत पर लगाए गए नए टैरिफ़ के बाद अब भारत से आने वाले उत्पादों पर यह टैरिफ़ 25% हो गया है.
भारत के लिए, ट्रंप की चेतावनी एक नाज़ुक वक़्त में आई है. अमेरिका भारत की लगातार इस बात के लिए आलोचना करता रहा है कि रूस से तेल ख़रीद कर 'भारत ने यूक्रेन वॉर में पुतिन की मदद की है.'
भारत अमेरिका के इस तर्क का विरोध करता रहा है और कहता रहा है कि कि उसकी आयात नीति "ऊर्जा बाज़ार में अस्थिरता के बीच भारतीय उपभोक्ताओं के हितों के आधार पर काम करती है."
हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर आए थे और उनका यहां बेहद गर्मजोशी से स्वागत हुआ.
रूसी मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ पुतिन और मोदी की इस गर्मजोशी ने 'ट्रंप को असहज कर दिया.
भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर लगातार बात हो रही है लेकिन अब तक इसमें कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है.
ट्रंप भारत को 'सबसे ज़्यादा टैरिफ़ लगाने वाला देश' कहते रहे हैं और भारत के साथ व्यापारिक अड़चनों का हवाला देकर और भारत के रूस से तेल ख़रीदने की बात कहकर भारत पर 50 फ़ीसदी टैरिफ़ लगा चुके हैं.
इसी सप्ताह अमेरिका का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आने वाला है, हालांकि इन टैरिफों में कमी के लिए किसी समझौते की उम्मीदें कम हैं.
चावल निर्यात के मामले में भारत पहले नंबर पर
भारत दुनिया का सबसे ज़्यादा चावल उत्पादक देश और नंबर वन निर्यातक देश भी है.
भारतीय चावल निर्यातक संघ के मुताबिक़ भारत सालाना 15 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन करता है जो दुनिया भर के चावल उत्पादन का 28 प्रतिशत है. 2024-25 में भारत दुनिया भर में सबसे ज़्यादा चावल निर्यात करने वाला देश रहा. इस दौरान दुनिया भर के कुल चावल निर्यात का 30.3 प्रतिशत हिस्सा भारत का रहा.
चावल उत्पादन के मामले में दूसरे नंबर पर चीन है. उसका सालाना चावल उत्पादन क़रीब 14 करोड़ मीट्रिक चन है.
इस सूची में बांग्लादेश, इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड और पाकिस्तान का नाम भी है.
भारत में बासमती, सबसे ज़्यादा निर्यात की जाने वाली चावल की किस्मों में से एक है.
2024-25 के दौरान 59.44 लाख मीट्रिक टन चावल निर्यात किया.
वहीं 33.23 लाख मीट्रिक टन नॉन बासमती राइस निर्यात किया गया.
वहीं सबसे ज़्यादा 90.44 लाख मीट्रिक टन पारबॉइल्ड राइस (आंशिक रूप से उबाला गया चावल) निर्यात किया गया. (bbc.com/hindi)


