अंतरराष्ट्रीय
उत्तर कोरिया, चीन और रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है. वहीं दक्षिण कोरिया के साथ उसकी दूरी बढ़ती जा रही है. 1950 के दशक के कोरियाई युद्ध में बिछड़े परिवारों के फिर से आपस में मिलने की उम्मीदें धुंधली हुई हैं
डॉयचे वैले पर जूलियन रयाल का लिखा-
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे-म्युंग ने उत्तर कोरिया से अनुरोध किया है कि वह कोरियाई युद्ध के कारण दशकों पहले बिछड़े परिवारों को कुछ समय के लिए आपस में मिलने की अनुमति दे. हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि पूरी संभावना है कि उत्तर कोरिया उनकी इस अपील को नजरअंदाज कर देगा.
बीते शनिवार को, अलग हुए परिवारों के तीसरा वार्षिक स्मृति दिवस मनाया गया. इस अवसर पर राष्ट्रपति ली जे-म्युंग ने कहा, "दुर्भाग्य से, दोनों कोरिया (उत्तर और दक्षिण) के संबंध फिलहाल गहरे अविश्वास में डूबे हुए हैं. लेकिन अलग हुए परिवारों का मुद्दा अभी भी सबसे बड़ी प्राथमिकता है. इसे दक्षिण और उत्तर कोरिया, दोनों को मिलकर हल करना चाहिए.” ली ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ‘बातचीत और सहयोग' बढ़ाने का अनुरोध किया.
दोनों कोरियाई देशों और उनके सहयोगियों के बीच बड़े पैमाने पर हुआ युद्ध 1953 में हुए युद्धविराम के साथ समाप्त हो गया था. इससे कोरियाई प्रायद्वीप दो हिस्सों में बंट गया था. इसके बावजूद, दोनों देशों के बीच अभी तक कोई स्थायी शांति संधि नहीं हुई है. इसके कारण उत्तर और दक्षिण कोरिया तकनीकी रूप से आज भी युद्धरत माने जाते हैं. यूं कहें कि युद्धविराम के कई दशकों के बाद भी दोनों के आपसी रिश्ते सामान्य नहीं हुए हैं. अपने भाषण में राष्ट्रपति ली ने कहा कि उनकी सरकार "कोरियाई प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने” और यह सुनिश्चित करने के लिए "पूरी कोशिश” करेगी कि "अलग हुए परिवारों का दुख अगली पीढ़ियों तक ना पहुंचे.”
उत्तर कोरिया को करना है तय
राष्ट्रपति ली जे-म्युंग की यह टिप्पणी चुसेओक उत्सव से ठीक पहले आई है. चुसेओक वार्षिक फसल कटाई का त्योहार है, जब परिवार इकट्ठा होते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं. उत्तर कोरिया ने बिछड़े परिवारों के आपस में मिलने के संबंध में ली की टिप्पणियों पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
हालांकि, अतीत में ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं. पिछला कार्यक्रम 2018 में हुआ था, जब 83 उत्तर कोरियाई कई दशकों बाद दक्षिण के 89 रिश्तेदारों से मिल पाए थे. अपने बिछड़े परिवार से मिलने के लॉटरी के जरिए चुने गए सबसे बुजुर्ग दक्षिण कोरियाई शख्स की उम्र 101 साल थी. ये लोग अपने परिवारों से मिलने उत्तर कोरिया गए थे.
अब माना जा रहा है कि समय हाथ से निकलता जा रहा है, क्योंकि दोनों देशों के बीच की सीमा यानी डिमिलिट्राइज्ड जोन के दोनों ओर रह रहे बिछड़े हुए परिवारों की संख्या दिन-ब-दिन घटती जा रही है. इस मुद्दे पर उत्तर कोरिया का रुख और ज्यादा शत्रुतापूर्ण होता दिख रहा है, क्योंकि उसने इस साल की शुरुआत में परिवारों के पारंपरिक मिलन स्थल को ही ध्वस्त कर दिया.
दक्षिण कोरिया की वामपंथी पार्टी ‘कांग्रेस फॉर न्यू पॉलिटिक्स' के पूर्व नेता और किम डे-जुंग पीस फाउंडेशन के सदस्य किम सांग-वू ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि उत्तर कोरिया इस मसले पर कोई जवाब भी देना चाहता है.” उन्होंने डीडब्ल्यू को बताया, "फिलहाल, गेंद उत्तर कोरिया के पाले में है. वह चाहे तो परिवारों की मुलाकातों पर सहमत हो सकता है. लेकिन जब से उसने चीन और रूस के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए हैं, उसे दक्षिण कोरिया की इच्छाओं के मुताबिक कुछ करने की जरूरत महसूस नहीं होती.”
हालांकि, उत्तर कोरिया अभी भी राजनीतिक रूप से काफी हद तक अलग-थलग है और चीन पर निर्भर है, लेकिन अब उसने रूस के साथ भी एक मजबूत साझेदारी बना ली है. इस साझेदारी के तहत यूक्रेन युद्ध में लड़ने के लिए उत्तर कोरियाई सैनिकों को रूस भेजा गया.
किम ने आगे कहा, "यह साफ जाहिर हो रहा है कि दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ली के इरादे नेक हैं, लेकिन यह उन परिवारों के लिए यातना होगी जिन्हें झूठी उम्मीद दी जा रही है कि वे उत्तर कोरिया में अपने रिश्तेदारों से मिल पाएंगे. आखिरकार उन्हें सिर्फ निराशा ही हाथ लगेगी.”
परिवार से बिछड़ने के गम के साथ गुजरी जिंदगी
ट्रॉय यूनिवर्सिटी के सियोल कैंपस में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर डैन पिंकस्टन ने कई ऐसे कोरियाई लोगों से मुलाकात की है जो 1950 के दशक के युद्ध के बाद से अपने रिश्तेदारों से अलग हो गए हैं. उन्हें यह भी नहीं पता कि उनके प्रियजन अभी जिंदा हैं या नहीं.
उन्होंने कहा, "यह पूरी तरह से दुखद स्थिति है. मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो सियोल में एकीकरण मंत्रालय में काम करता है और जिसने अतीत में परिवारों के फिर से मिलने की व्यवस्था करने के प्रयासों पर काम किया है. उनके पिता की एक बहन थीं जो 1950 में उत्तर कोरियाई आक्रमण के समय नर्स बनने का प्रशिक्षण ले रही थीं. जब सियोल पर कब्जा हुआ तो उन्हें पकड़ लिया गया था.”
वह आगे बताते हैं, "उन्हें उत्तर कोरिया ले जाया गया, लेकिन उसके बाद उनका कोई पता नहीं चला. दशकों बाद, जब भी उत्तर कोरिया बिछड़े परिवारों के आपस में मिलने के इच्छुक लोगों के नामों की सूची मंत्रालय को देता, तो वह हमेशा उन नामों में अपने पिता की बहन का नाम खोजते थे. लेकिन उन्हें यह नाम कभी नहीं मिला. यह बात उनके दिल को बेहद कचोटती थी. वे काफी दुखी हो जाते थे. यह कहानी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि उन जैसे हजारों लोगों की है.”
पिंकस्टन इस बात से सहमत हैं कि उत्तर कोरियाई तानाशाह किम जोंग उन शायद ही ली की अपील पर ध्यान देंगे. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, "किम दक्षिण कोरिया पर राजनीतिक एहसान क्यों करेंगे?”
उन्होंने इस ओर इशारा किया कि दक्षिण कोरिया अब उत्तर कोरिया पर पहले की तरह दबाव नहीं डाल सकता. पहले दक्षिण कोरिया, आर्थिक और अन्य तरह की सहायता देने की पेशकश करके उत्तर कोरिया पर दबाव बनाता था, लेकिन अब उसके पास दबाव बनाने की वह क्षमता नहीं बची है.
उत्तर कोरिया नहीं चाहता कि भाईचारे की भावना बढ़े
उत्तर कोरिया एक और पहलू पर विचार कर रहा है कि अगर बिछड़े परिवार फिर से मिलते हैं, तो इससे दक्षिण के प्रति भाईचारे की भावनाएं बढ़ सकती हैं. पिंकस्टन कहते हैं, "बिछड़े परिवारों के फिर से मिलने से राष्ट्रवादी भावनाएं और एक होने की भावनात्मक इच्छा मजबूत होने का वास्तविक जोखिम है. यह सीधे तौर पर उस नीति के खिलाफ है जिसे उत्तर कोरिया ने पिछले एक साल में अपनाया है कि उत्तर और दक्षिण कोरिया अब 'दो शत्रु देश' हैं.”
किम सांग-वू यह भी बताते हैं कि यदि परिवारों का पुनर्मिलन कार्यक्रम आगे बढ़ता है, तो यह उत्तर कोरिया के प्रचार तंत्र के लिए एक बड़ा नुकसान या खतरा पैदा कर सकता है. उन्होंने कहा, "उत्तर कोरिया का शासन अपने लोगों को एक तरह के जाल या भ्रम के तहत कड़ाई से नियंत्रित रखता है, जिसे उन्होंने अपने प्रचार तंत्र के जरिए खुद बनाया है. उत्तर कोरियाई शासन ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने नागरिकों को यह बताया है कि दक्षिण कोरिया पूरी तरह भ्रष्ट है. वे अपने लोगों को विश्वास दिलाते हैं कि दक्षिण कोरियाई स्वतंत्र नहीं हैं, बल्कि अमेरिका के गुलाम हैं. वहां अराजकता फैली हुई है और वह पतन के कगार पर है.”
किम ने जोर देकर कहा, "उत्तर कोरियाई शासन इस छवि को बनाए रखने के लिए, अपने नागरिकों और दक्षिण में मौजूद उनके रिश्तेदारों के बीच किसी भी संपर्क की अनुमति नहीं दे सकता. यह बेहद दुखद है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि निकट भविष्य में उत्तर कोरिया इस मामले पर अपना रुख बदलेगा.”


