अंतरराष्ट्रीय
इस्राएल के संघर्ष विराम के बाद लाखों फलीस्तीनी अपने बिखरे घरों की तरफ लौट रहे हैं. डॉनल्ड ट्रंप के दखल से इस्राएल और हमास के बीच संघर्ष विराम तो हुआ है, लेकिन कुछ सवाल अब भी बरकरार हैं.
डॉयचे वैले पर ओंकार सिंह जनौटी का लिखा-
इस्राएल और हमास के बीच गाजा में संघर्ष विराम लागू होने के अगले ही दिन, शनिवार को लाखों फलीस्तीनियों का रेला गाजा की तरफ लौटने लगा. शुक्रवार दोपहर तक इस्राएल गाजा पर हमले कर रहा था. लेकिन दोपहर बाद संघर्ष विराम लागू होते ही इस्राएल ने गाजा से अपनी सेना समेटनी शुरू कर दी. इसके बाद शनिवार को फलीस्तीनियों का बड़ा रेला पैदल गाजा सिटी की तरफ लौटने लगा.
गाजा सिविल डिफेंस के प्रवक्ता महमूद बसाल के मुताबिक, संघर्ष विराम लागू होने के बाद करीब दो लाख फलीस्तीनी उत्तरी गाजा लौट चुके हैं.
मलबे में घर खोजते लोग
गाजा सिटी के शेख रदवाद डिस्ट्रिक्ट में रहने वाले इस्माइल जायदा उन चुनिंदा लोगों में हैं, जिनका घर दो साल तक चले युद्ध में बच गया. जायदा कहते हैं, "अल्लाह का शुक्र है कि मेरा घर अब भी खड़ा है. लेकिन इलाका तबाह हो चुका है, मेरे मुहल्ले के घर बर्बाद हो चुके हैं, पूरा डिस्ट्रिक्ट चला गया है."
जान बचाने के लिए दर बदर भटक चुके मेहदी साकला भी अपने परिवार के साथ गाजा सिटी लौटे हैं. वह कहते हैं, "घर बचे ही नहीं हैं. लेकिन इसके बावजूद हमें अपने घर लौटने की खुशी है, फिर चाहे वहां मलबा ही क्यों न हो."
खान यूनिस गाजा का दूसरा बड़ा शहर है. वहां भी अब बड़ी संख्या में फलीस्तीनी लौट रहे हैं. समाचार एजेंसी एपी से बात करते हुए फातमा रादवान ने कहा, "कुछ नहीं बचा है. बस कुछ कपड़े और लकड़ी व बर्तनों के टुकड़े हैं."
कई लोग घर लौटने के बाद मलबे में अपने मारे गए प्रियजनों को खोज रहे हैं. खान यूनिस लौटे अहम अल बरिम को अपने घर के मलबे में लकड़ी की एक बल्ली मिली. अब उसी बल्ली को जलाकर वे खाना पका रहे हैं.
इस्राएली सेना की वापसी
गाजा की सिविल डिफेंस एजेंसी के मुताबिक इस्राएली सेना और उसकी बख्तरबंद गाड़ियां गाजा सिटी और खान यूनिस से वापस लौट रही हैं.
संघर्ष विराम लागू होने के बाद भी इस्राएल ने फलीस्तीनियों को चेतावनी दी है कि वे सेना की गतिविधियों में दखल न दें. इस्राएल के मुताबिक, सेना "ऑपरेशन की पोजिशन को एडजस्ट" कर रही है.
हमास द्वारा संचालित आंतरिक मंत्रालय का कहना है कि जिन इलाकों से इस्राएली सेना निकल रही है, वहां सुरक्षा बल भेजे जा रहे हैं.
इस बीच शनिवार को इस्राएल ने गाजा में यूएन के राहत अभियानों को मंजूरी दे दी. गोपनीयता की शर्त पर यूएन के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. जॉर्डन और मिस्र जैसे पड़ोसी देशों में गाजा के लिए 1,70,000 मीट्रिक टन राहत सामग्री जुटाई गई है.
दो साल तक चले गाजा युद्ध के दौरान इस्राएल ने गाजा में खाने पीने के सामान और राहत सामग्री पर भी कड़ी पाबंदियां लगाई थीं. इसकी वजह से गाजा में भुखमरी से भी हजारों मौतें हुई. संघर्ष विराम के बाद भी कुपोषण एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है. यूएन के मानवीय मदद कार्यक्रम के चीफ टॉम फ्लेचर के मुताबिक, गाजा में यूएन और उसके पार्टनर अब तक सिर्फ 20 फीसदी मदद ही पहुंचा सके हैं.
शांति को लेकर कई शंकाएं भी
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपनी 20 बिंदुओं वाली शांति योजना के तहत इस्राएल और हमास को संघर्ष विराम के लिए राजी तो कर लिया है, लेकिन कई मुद्दे अब भी अनसुलझे हुए हैं. इन मुद्दों के तहत, हमास को पूरी तरह निशस्त्र किया जाना है. गाजा के लिए एक ट्रांजिशनल अथॉरिटी बनाई जानी है. इस अथॉरिटी का नेतृत्व खुद डॉनल्ड ट्रंप करेंगे और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर इसमें अहम भूमिका निभाएंगे.
प्लान के तहत इस्राएल, अपनी सीमा से सटे फलीस्तीनी इलाकों में सेना की तैनाती जारी रख सकता है. वहीं गाजा के भीतर अरब और मुस्लिम देशों के सैनिकों की बहुलता वाली अंतरराष्ट्रीय शांति सेना तैनात की जाएगी. यह शांति सेना गाजा के भीतर सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होगी. हालांकि हमास ने शुक्रवार को इस बिंदु को विदेशी दखल कहते हुए खारिज करने का एलान किया है.
संघर्ष विराम के तहत हमास 48 बंधकों और उनसे जुड़ी चीजों को लौटाएगा. अनुमान है कि इनमें से 20 ही जीवित हैं.
सात अक्टूबर 2023 की सुबह हमास ने इस्राएल पर बड़ा हमला किया. हमले में करीब 1,200 लोग मारे गए और 251 लोग बंधक बनाए गए. उस हमले के बाद इस्राएल ने गाजा पर भीषण हमला शुरू कर दिया. इस्राएली हमले में लाखों फलीस्तीनी मारे गए. करीब 20 लाख की आबादी वाले गाजा में ही 90 फीसदी लोग कई बार विस्थापित हुए.


