अंतरराष्ट्रीय

-निखिल इनामदार
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है और इन हालात में आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.
ये हालात ऐसे समय में पैदा हुए हैं जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था गहरे संकट से उबरने की कोशिश कर रही थी.
2023 में पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में मुश्किल से ही कोई वृद्धि हुई थी — इसके पीछे कारण थे बढ़ता आयात बिल, घटता विदेशी मुद्रा भंडार और बेकाबू महंगाई.
एशियाई विकास बैंक यानी एडीबी के मुताबिक़, 2024 में पाकिस्तान की जीडीपी ग्रोथ 2.5 फ़ीसदी रही और 2025 में इसके 3 फ़ीसदी तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है.
लेकिन अब भारत के साथ बने तनावपूर्ण हालात से पाकिस्तान की आर्थिक तरक्की को झटका लग सकता है. इस संकट ने पाकिस्तान के लिए एक नई रुकावट खड़ी कर दी है.
एडीबी ने पहले अनुमान जताया था कि इस साल की आर्थिक वृद्धि आर्थिक सुधार,स्थिर मुद्रा बाज़ार और निजी क्षेत्र में भारी निवेश जैसे क़दमों के कारण संभव हो सकेगी,लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में ये अनुमान गड़बड़ा गए हैं.
डॉलर के मुक़ाबले पाकिस्तानी रुपया गिर रहा है, शेयर बाज़ार में भी निवेशकों में घबराहट है और निवेशकों को किसी भी नए प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाने से पहले युद्ध का ख़तरा सबसे बड़ा रोड़ा लग रहा है.
अगर दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ता है, तो यह पाकिस्तान सरकार के वित्तीय संतुलन को सुधारने के प्रयासों पर भी असर डालेगा. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने चेतावनी दी है कि ये पाकिस्तान की 'आर्थिक स्थिरता हासिल करने की प्रगति में बाधा' बन सकता है.
शुक्रवार को ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ को पाकिस्तान को लेकर एक बड़ा फैसला करना है. समीक्षा बैठक में आईएमएफ़ ये तय करेगा कि पाकिस्तान को 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की अगली किस्त दी जाए या नहीं. (bbc.com/hindi)