अंतरराष्ट्रीय

मुंबई, 11 अप्रैल। महाराष्ट्र पुलिस की साइबर शाखा ने म्यांमा में ‘साइबर गुलामी’ के लिए मजबूर किए गए 60 से अधिक भारतीय नागरिकों को बचाया है और एक विदेशी नागरिक समेत पांच एजेंटों को गिरफ्तार किया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने बताया कि पीड़ितों को विदेश में उच्च वेतन वाली नौकरी दिलाने का वादा किया गया था, लेकिन वहां साइबर धोखाधड़ी करने के लिए उन्हें धमकाया गया तथा शारीरिक यातना दी गई।
उन्होंने कहा कि यह विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की मदद से ‘साइबर गुलामी’ मामले में महाराष्ट्र साइबर द्वारा की गई संभवत: सबसे बड़ी कार्रवाई है।
‘साइबर गुलामी’ शोषण का एक उभरता हुआ रूप है जो ऑनलाइन धोखाधड़ी से शुरू होता है और इसमें मानव तस्करी शामिल होती है।
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने इस संबंध में तीन प्राथमिकी दर्ज की हैं।
अधिकारी ने कहा कि गिरोह चलाने वाले लोग सोशल मीडिया के माध्यम से पीड़ितों से संपर्क करते थे और उन्हें थाईलैंड तथा अन्य पूर्वी एशियाई देशों में उच्च वेतन वाली नौकरियों की पेशकश करते थे।
उन्होंने बताया कि एजेंटों ने पीड़ितों के लिए पासपोर्ट और विमान के टिकट का प्रबंध किया तथा उन्हें पर्यटक वीजा पर थाईलैंड भेज दिया। उन्होंने बताया कि वहां से उन्हें म्यांमा सीमा पर भेजा गया और छोटी नौकाओं से नदी पार कराकर म्यांमा में प्रवेश कराया गया।
अधिकारी ने कहा कि म्यांमा में प्रवेश करते ही पीड़ितों को सशस्त्र विद्रोही समूह कड़ी सुरक्षा वाले परिसरों में ले जाते थे और उन्हें बड़े पैमाने पर फर्जी निवेश योजनाओं के नाम पर साइबर धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर करते थे।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र साइबर पुलिस ने अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर पीड़ितों को बचाया। उन्होंने हालांकि, यह नहीं बताया कि पीड़ितों को बचाने के लिए म्यांमा में घुसकर अभियान चलाया गया था या नहीं।
अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (महाराष्ट्र साइबर) यशस्वी यादव ने कहा, ‘‘आरोपियों में वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने पीड़ितों को म्यांमा ले जाने में मदद की थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मामले की जांच के दौरान गोवा पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया, जबकि हमने मुख्य आरोपी को मुंबई से गिरफ्तार किया, जो एक भारतीय है।’’
यादव ने बताया कि 60 पीड़ितों में से कुछ को आरोपी बनाया जा सकता है, यदि यह पाया गया कि उनकी इसमें भूमिका थी।
उन्होंने कहा कि पीड़ितों को साइबर धोखाधड़ी के लिए मजबूर करने के लिए आरोपी उन्हें प्रताड़ित करते थे। कुछ मामलों में तो वे पीड़ितों के नाखून भी उखाड़ लेते थे। पीड़ितों के पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते थे और उन्हें प्रताड़ित किया जाता था तथा धमकाया जाता था।
यादव ने बताया कि मुक्त कराए जाने के बाद पीड़ितों ने एजेंटों और धोखाधड़ी करने वाली कॉल सेंटर कंपनियों के नेटवर्क का खुलासा किया, जो भारत में नौकरी के इच्छुक लोगों को प्रलोभन देते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ कंपनियां रोजगार एजेंसियों की आड़ में काम करती हैं।
आदित्य रवि चंद्रन, रूपनारायण रामधर गुप्ता, जेन्सी रानी डी और चीनी-कजाकिस्तानी नागरिक तलनिती नुलाक्सी को भर्ती एजेंट के रूप में काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
अधिकारी ने बताया कि मनीष ग्रे उर्फ मैडी एक पेशेवर अभिनेता है जो वेब सीरीज और टेलीविजन कार्यक्रमों में काम कर चुका है। उन्होंने बताया कि ग्रे ने अन्य लोगों के साथ मिलकर कथित तौर पर लोगों की भर्ती की और उन्हें मानव तस्करी के जरिये म्यांमा पहुंचाने में मदद की।
उन्होंने कहा कि तलनिति नुलाक्सी कथित तौर पर साइबर अपराध करने के लिए भारत में एक इकाई स्थापित करने की योजना बना रही थी। उन्होंने कहा कि जांच जारी है।
मुक्त कराए गए पीड़ितों में शामिल सतीश ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि उसे थाईलैंड में एक रेस्तरां मैनेजर की नौकरी की पेशकश की गई थी। उसने कहा, ‘‘थाईलैंड पहुंचने के बाद एजेंट हमें म्यांमा सीमा पर ले गया और हमें पता ही नहीं चला कि उसने हमें 5,000 डॉलर प्रति व्यक्ति के हिसाब से बेच दिया है।’’
सतीश ने बताया कि उन्हें मियावाड़ी नामक क्षेत्र में ले जाया गया जिसपर विद्रोहियों का कब्जा है। उन्होंने कहा कि वहां के लोग अपने साथ एके-47 राइफल और स्वचालित हथियार रखते हैं।
पालघर जिले के नायगांव निवासी एक अन्य पीड़ित मोनूकुमार शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि गिरोह के लोग अलग-अलग तरीकों से श्रमिकों को प्रताड़ित करते थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई कर्मचारी काम करने से इनकार करता या तीखी प्रतिक्रिया करता तो उसकी पिटाई की जाती थी।’’
शर्मा ने कहा, ‘‘उन्होंने हमारे लिए 25,000 थाई बात वेतन तय किया था, लेकिन इसमें किसी न किसी बहाने कटौती की जाती थी। अगर कोई व्यक्ति पैर पर पैर रखकर बैठा हुआ पाया जाता था, तो उनका आधा वेतन काट लिया जाता था।’’ (भाषा)