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SHARGH
ईरान के एक शख़्स को सरकार विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा लेने की वजह से मिली मौत की सज़ा सुप्रीम कोर्ट की ओर से पलटे जाने के बावजूद उनकी मौत जेल में हो गई.
जवाद रूही को बीते साल महसा अमीनी की मौत से बाद देश भर में शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के वक़्त गिरफ़्तार किया गया था.
अधिकारियों का कहना है कि 35 साल के रूही को जेल में दौरा पड़ा और प्रभावी इलाज ना मिलने से उनकी मौत हो गई.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि रूही की मौत के लिए अधिकारी ज़िम्मेदार हैं.
ईरान की न्यायिक प्रक्रिया से जुड़ी न्यूज़ वेबसाइट मिज़ान के मुताबिक़, “दुर्भाग्य से चिकित्सा कर्मचारियों की कोशिश के बावजूद रूही की मौत हो गई और उनकी मौत की वजह जानने के लिए क़ानूनी मामला दायर किया गया है.”
हालांकि, गुरुवार को आधिकारिक घोषणा से एक घंटे पहले ही कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने सोशल नेटवर्क पर रूही की मौत की जानकारी दे दी थी और न्यायिक और सुरक्षा अधिकारियों पर उनकी "हत्या" करने का आरोप लगाया.
बीते साल ईरान की मोरैलिटी पुलिस की हिरासत में 22 साल की महसा अमीनी की मौत के कुछ ही दिनों बाद रूही को गिरफ्तार कर लिया गया था.
महसा अमीनी को ईरान की मोरैलिटी पुलिस ने ‘ठीक से हिजाब’ ना पहनने के कारण हिरासत में लिया और फिर उनकी मौत हिरासत के दौरान ही हो गई थी. इसके बाद सरकार के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए.
रूही को एक प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर क़ुरान जलाने के लिए दंगाइयों का नेतृत्व करने, सरकारी संपत्ति को नष्ट करने का दोषी पाया गया था. हालांकि उनके साथियों ने उनके प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए जो वीडियो जारी किए उसमें वो नाचते नज़र आ रहे हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि जबरन अपराध कबूल करवाने के लिए रूही को कोड़े मारे गए, जमा देने वाले फ्रीजिंग तापमान में रखा गया, बिजली के झटके दिए गए.(bbc.com/hindi)