अंतरराष्ट्रीय

-गैरेथ इवांस और लारा गुज्जी
पर्यटकों को लेकर दुनिया के सबसे चर्चित जहाज़ टाइटैनिक के मलबे को देखने के लिए निकली पनडुब्बी रविवार से लापता है और इसकी तलाश जारी है.
इस पनडुब्बी पर सवार पाँच यात्रियों में पाकिस्तानी मूल के अरबपति कारोबारी प्रिंस दाऊद और उनके बेटे सुलेमान दाऊद, ब्रितानी अरबपति व्यवसायी हामिश हार्डिंग, फ़्रेंच एक्सप्लोरर पॉल आनरी नार्जेलेट और इस एडवेंचर ट्रिप का प्रबंधन करने वाली कंपनी के चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव स्टॉकटन रश भी शामिल हैं.
हार्मिश हार्डिंग ने यात्रा शुरू करने से पहले सोशल मीडिया पर लिखा कि उन्हें ये घोषणा करते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि वो टाइटैनिक के मलबे तक जाने वाले अभियान का हिस्सा होंगे. उन्होंने ये भी लिखा कि "40 सालों में पहली बार न्यूफ़ाउंडलैंड में पड़ी इतनी सर्दी की वजह से ये साल का आख़िरी अभियान होगा."
आठ दिन की इस यात्रा के लिए ढाई लाख डॉलर यानी 2 करोड़ रुपये से भी अधिक राशि की टिकट खरीदी जाती है. इस यात्रा के ज़रिए टाइटैनिक के मलबे को समुद्र में 3800 मीटर नीचे जाकर देखा जा सकता है.
यूएस कोस्ट गार्ड के मुताबिक, रविवार को यात्रा शुरू होने के एक घंटे 45 मिनट बाद पनडुब्बी से संपर्क टूट गया. तलाशी अभियान में दो सी-130 विमान और सोनार की मदद ली जा रही है.
यूएस कोस्ट गार्ड ने सोमवार रात कहा कि पनडुब्बी में तीन से चार दिनों तक चलने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन हो सकती है.
यूएस कोस्ट गार्ड के रियर एडमिरल जॉन मैगर ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "हमारा अनुमान है कि इस समय तलाशी अभियान पूरा करने के लिए 70 से 96 घंटे बचे हैं."
हालांकि, उन्होंने कहा कि जिस इलाके में तलाशी अभियान चलाया जा रहा है वो काफ़ी दुर्गम है, जिससे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
प्रिंस दाऊद एक बड़े पाकिस्तानी कारोबारी परिवार के सदस्य हैं. वो ब्रिटेन में प्रिंस ट्रस्ट चैरिटी के बोर्ड के सदस्य भी हैं. उनके बेटे सुलेमान भी लापता पनडुब्बी पर सवार हैं.
दाऊद के परिवार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है, "हमारे बेटे प्रिंस दाऊद और उनके बेटे सुलेमान अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक के मलबे को देखने के लिए यात्रा पर निकले थे. फिलहाल इनका सबमरीन क्राफ़्ट (छोटी पनडुब्बी) से संपर्क टूट गया है और इसके बारे में अभी सीमित जानकारी उपलब्ध है. पनडुब्बी के साथ फिर से संपर्क बनाने और इसे सुरक्षित वापस लाने के लिए कई सरकारी एजेंसियों और समुद्र की गहराई में खोज करने वाली कंपनियों के नेतृत्व में ठोस प्रयास जारी है."
परिवार ने कहा, "हम अपने सहयोगियों और दोस्तों से मिले संदेशों के लिए बहुत आभारी हैं. हम सभी से इस समय उनकी निजता का सम्मान करते हुए परिवार की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करने के लिए कहना चाहेंगे."
दाऊद परिवार पाकिस्तान के सबसे धनी परिवारों में से एक है, लेकिन इनका ब्रिटेन से भी गहरा नाता है.
प्रिंस दाऊद एंग्रो कॉर्पोरेशन के वाइस चेयरमैन हैं. ये कंपनी उर्वरक, खाद्य और ऊर्जा क्षेत्रों में काम करती है.
ब्रितानी मीडिया के अनुसार, प्रिंस दाऊद का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, लेकिन बाद में वो यूके चले गए.
वहां उन्होंने बकिंगम यूनिवर्सिटी से कानून विषय की पढ़ाई की. इसके बाद फिलाडेल्फिया विश्वविद्यालय से ग्लोबल टेक्सटाइल मार्केटिंग में एमएससी भी किया.
प्रिंस दाऊद एक अंतरिक्ष अनुसंधान कंपनी 'सेटी' संस्थान के ट्रस्टी भी हैं. इससे जुड़ी कुछ जानकारी संस्थान की वेबसाइट पर भी है.
इन जानकारियों के मुताबिक, प्रिंस दाऊद अपनी पत्नी क्रिस्टीन और अपने बच्चों सुलेमान और अलीना के साथ ब्रिटेन में रह रहे हैं. उन्हें फ़ोटोग्राफ़ी का शौक है और उन्हें जानवरों के प्रति उनके लगाव के लिए भी जाना जाता है.
वो दाऊद हेराक्लीज़ कॉर्पोरेशन के वाइस चेयरमैन हैं. दाऊद हेराक्लीज़ कॉर्पोरेशन दाऊद समूह का हिस्सा है. ये परिवार एक सदी से भी अधिक समय से व्यापार जगत में अपनी जगह बनाए हुए है.
प्रिंस दाऊद साल 1996 में अपने फ़ैमिली बिज़नेस का हिस्सा बने. यहाँ उनकी विशेषज्ञता पाकिस्तान में औद्योगिक क्षेत्र के नवीनीकरण में है.
दाऊद हेराक्लीज़ कॉर्पोरेशन अलग-अलग उद्योगों का प्रबंधन और देखरेख करती है.
प्रिंस दाऊद ऊर्जा, कृषि, खाद्य, पेट्रोकेमिकल्स और कपड़े से जुड़े क्षेत्रों में विकास और नई-नई खोजों में भूमिका निभाते रहे हैं.
प्रिंस दाऊद एंग्रो कॉर्पोरेशन लिमिटेड और दाऊद लॉरेंसपुर लिमिटेड के बोर्ड में शेयरहोल्डिंग डायरेक्टर भी हैं.
टाइटन पनडुब्बी
अटलांटिक महासागर में लापता पनडुब्बी की तलाश सोमवार से मंगलवार रात के बीच जारी रही लेकिन उसका कोई पता नहीं चला.
समय बीतने के साथ-साथ तलाशी अभियान में भी तेज़ी लाई जा रही है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि पनडुब्बी में ऑक्सीजन भंडार अधिक दिनों के लिए नहीं बचा है.
इस अभियान में अमेरिका और कनाडा की नौसेना के अलावा समुद्र की गहराई में काम करने वाली कंपनियां भी जुड़ी हैं.
इस फ़न ट्रिप को संचालित करने वाली कंपनी ओशनगेट का भी कहना है कि पनडुब्बी में सवार लोगों को बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है.
अभियान में दो सैन्य विमानों, एक सोनार और एक पनडुब्बी की मदद ली जा रही है.
यूएस कोस्ट गार्ड का कहना है कि पोलर प्रिंस नाम के एक जहाज़ ने सोमवार शाम पनडुब्बी को सतह पर देखा.
सीबीएस के एक रिपोर्टर डेविड पोग ने पिछले साल उसी पनडुब्बी पर यात्रा की थी, जो अभी लापता हुई है. उन्होंने बीबीसी को बताया, "शायद पनडुब्बी से संपर्क करने का कोई तरीका नहीं है क्योंकि रेडियो या जीपीएस पानी के अंदर काम नहीं करते."
"एक जहाज़ पनडुब्बी की सतह तक पहुंचता है, तब संदेश भेजे जा सकते हैं. लेकिन अभी तक इस तरह की कोशिशों का कोई जवाब नहीं मिला है."
उन्होंने ये भी कहा कि पनडुब्बी से बाहर निकलने का कोई दूसरा रास्ता नहीं है क्योंकि इसमें मौजूद लोगों को सिर्फ़ बाहर से ही निकाला जा सकता है.
टाइटैनिक के मलबे तक की यात्रा क्या है?
ओशनगेट कंपनी के विज्ञापन के अनुसार, ये आठ दिनों की यात्रा साधारण ज़िंदगी से निकलने और कुछ असाधारण खोजने का मौका है.
कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक, 2024 में इस तरह के दो मिशन भेजने की योजना है.
इस छोटी पनडुब्बी में एक पायलट और तीन टिकट खरीदने वाले मेहमान यात्री होते हैं. उनके अलावा कंपनी के मुताबिक पनडुब्बी में एक एक्सपर्ट भी सवार होते हैं.
ये मिशन न्यूफ़ाउंडलैंड में सेंट जॉन्स से शुरू होता है.
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, उसके पास तीन पनडुब्बी हैं, जिनमें से केवल लापता होने वाले टाइटन में ही इतनी गहराई तक जाने में सक्षम है.
इस पनडुब्बी का वजन 10 हज़ार 432 किलोग्राम है और वेबसाइट की मानें तो ये 13 हज़ार 100 फ़ुट की गहराई तक जा सकती है. पनडुब्बी में 96 घंटे का ऑक्सीजन सपोर्ट बचा है.
टाइटैनिक जहाज़ साल 1912 में न्यूयॉर्क की अपनी पहली यात्रा के दौरान डूब गया था. ये अपने समय में सबसे बड़ा ज़हाज़ था. इसमें मौजूद 2200 यात्रियों और क्रू के सदस्यों में से 1500 से अधिक मारे गए थे. इस जहाज़ का मलबा पहली बार 1985 में खोजा गया था. (bbc.com/hindi)