अंतरराष्ट्रीय

सूडान की सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्सेज के प्रतिनिधि आपस में बातचीत करने के लिए पहली बार सऊदी अरब पहुंचे हुए हैं.
यह बातचीत शनिवार को जेद्दा में शुरू होने वाली थी लेकिन यह बैठक हुई या नहीं या दोनों पक्षों के प्रतिनिधि कौन हैं इस बारे में अभी तक कुछ कहा नहीं जा सकता है.
ये बातचीत अमेरिका और सऊदी अरब की मदद से हो रही है.
हफ्तों पहले संघर्ष शुरू होने के बाद से यहां कई संघर्ष विराम हुए हैं जो प्रभावी नहीं रह सके.
दोनों पक्षों ने कहा कि वे मानवीय संघर्ष विराम पर बातचीत करेंगे जिससे हिंसा और युद्ध प्रभावित लोगों को ज़रूरी मदद मिल सके. उनका कहना है कि इस दौरान संघर्ष खत्म करने को लेकर बातचीत नहीं की जाएगी.
सऊदी विदेश मंत्री फ़ैसल बिन फरहान ने दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस बातचीत से संघर्ष का अंत होगा और यह सूडान को सुरक्षा और स्थिरता की तरफ वापस ले जाएगी.
सूडान में जारी संघर्ष में अब तक 100 नागरिकों के मरने और क़रीब 1,100 के घायल होने का अनुमान है.
सेना प्रमुख अब्देल फ़तह अल बुरहान और अर्द्धसैनिक बल रएसएफ़ लीडर मोहम्मद हमदान दगालो, हेमेदती.
क्यों शुरू हुआ ताज़ा संघर्ष?
सूडान में नागरिक सरकार को सत्ता हस्तांतरित करने की माँग को लेकर 2021 से ही संघर्ष चल रहा है. मुख्य विवाद सेना और अर्धसैनिक बल 'आरएसएफ' के विलय को लेकर है.
ताज़ा हिंसा कई दिनों के तनाव के बाद हुई. आरएसएफ के जवानों को अपने लिए ख़तरा मानते हुए सेना ने पिछले सप्ताह इनकी तैनाती को बदलते हुए नई व्यवस्था शुरू की. इसे लेकर आरएसएफ के जवानों में नाराज़गी थी. कुछ उम्मीद थी कि बातचीत से समस्या का हल निकल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
अक्तूबर 2021 में नागरिकों और सेना की संयुक्त सरकार के तख्तापलट के बाद से ही सेना और अर्धसैनिक बल आमने-सामने हैं.
फ़िलहाल सॉवरेन काउंसिल के ज़रिए देश को सेना और आरएसएफ चला रहे हैं. लेकिन सरकार की असली कमान सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतेह अल बुरहान के हाथों में है. वे एक तरह से देश के राष्ट्रपति हैं.
सॉवरेन काउंसिल के डिप्टी और आरएसएफ़ प्रमुख मोहम्मद हमदान दगालो यानी हेमेदती देश के दूसरे नंबर के नेता हैं.
क़रीब एक लाख की तादाद वाली रैपिड सपोर्ट फ़ोर्स के सेना में विलय के बाद बनने वाली नई सेना का नेतृत्व कौन करेगा, इस पर सहमति नहीं बन पा रही है.
आरएसएफ़ प्रमुख का कहना है कि सेना के सभी ठिकानों पर कब्ज़ा होने तक उनकी लड़ाई चलती रहेगी. वहीं सेना ने बातचीत की किसी संभावना को नकारते हुए कहा है कि अर्धसैनिक बल आरएसएफ़ के भंग होने तक उनकी कार्रवाई जारी रहेगी.
हालांकि जनरल बुरहान ने पहले कहा था कि प्रस्तावित नागरिक सरकार में एकीकृत सेना का नेतृत्व कौन करेगा, इस विवाद को सुलझाने के लिए वे अपने डिप्टी यानी जनरल हेमेदती से बात करने को तैयार हैं. (bbc.com/hindi)