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अमेरिकी मध्यावधि चुनाव: कौन जीता, कौन हारा, ट्रंप-बाइडन के लिए नतीजों के क्या मायने
अ मेरिका में मंगलवार शाम मध्यावधि चुनाव के लिए मतदान पूरा होने के बाद अब नतीजे आना शुरू हो गए हैं.
अ मेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा की सभी 435 सीटों और सीनेट की 35 सीटों के लिए हुए इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी बढ़त बनाती दिख रही है.
हालांकि, उनकी उम्मीदें इससे कहीं ज़्यादा थीं. वे इस चुनाव के बड़े मुकाबलों में जीत दर्ज करना चाहते थे. लेकिन फ़िलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है.
वे पेनसिल्वेनिया में पहले ही सीनेट सीट हार चुके हैं. सीनेट में अपना दबदबा बनाने के लिए रिपब्लिकन पार्टी को नेवादा, एरिज़ोना और जॉर्जिया में कम से कम दो सीटें जीतनी होंगी.
प्रतिनिधि सभा में जीत की ओर रिपब्लिकन पार्टी
कुछ क़रीबी मुक़ाबलों में डेमोक्रेटिक पार्टी की जीत के बावजूद ऐसा लग रहा है कि प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव) में रिपब्लिकन पार्टी बहुमत हासिल कर लेगी.
सवाल बस ये है कि ये जीत कितनी बड़ी होने वाली है.
2020 में हैरान कर देने वाले अपने मज़बूत प्रदर्शन के बलबूते रिपब्लिकन पार्टी बहुमत से कुछ ही दूर है.
रिपब्लिकन पार्टी ने इन चुनावों की शुरूआत फ़ायदे के साथ की थी. उसकी पहुँच कज़र्वेटिव राज्यों की कुछ नई संसदीय सीटों में बढ़ी थी.
बहुमत कितना भी हो, रिपब्लिकन इस स्थिति में तो रहेंगे ही कि वो डेमोक्रेटिक पार्टी के लाए विधेयकों में रोड़ा अटका सकें और बाइडन प्रशासन पर दबाव बढ़ा सकें.
ये किसी भी सूरत में जीत ही है.
लेकिन अगर जीत का फ़ासला कम होता है तो रिपब्लिकन पार्टी को बड़े प्रस्तावों पर मतदान के दौरान अपनी पार्टी को एकजुट रखने के लिए बड़े जतन करने होंगे.
फ़्लोरिडा ने रिपब्लिकन के रॉन डीसैंटिस को दोबारा चुना
चार साल पहले रिपब्लिकन पार्टी के नेता रॉन डीसैंटिस बेहद कम मार्जिन से ही फ़्लोरिडा के गवर्नर का चुनाव जीतने में सफल हुए थे. उन्होंने ये चुनाव डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार एंड्रयू गिलम से जीता था.
अपने कार्यकाल के दौरान वो ट्रांसजेंडर अधिकारों जैसे विवादास्पद मुद्दों की ओर झुके. उन्होंने कोविड के लॉकडाउन का भी विरोध किया और हर जगह रिपब्लिकन पार्टी के कार्यक्रमों में नज़र आने लगे.
डीसैंटिस एक बार फिर फ़्लोरिडा के चुनाव जीत गए हैं. और इस बार वह काफ़ी अच्छे ख़ासे अंतर से जीते हैं. उनकी ये जीत अपने आप में काफ़ी ख़ास है.
साल 2018 में वह डेमोक्रेटिक पार्टी के गढ़ माने जाने वाले मायामी काउंटी में 20 फ़ीसदी वोटों से हारे थे.
वो ऐसे पहले रिपब्लिकन गवर्नर बनने की राह पर हैं जो डेमोक्रेटिक पार्टी के गढ़ में अच्छे खासे अंतर से जीतेंगे.
उनसे पहले जेब बुश साल 2002 में ऐसा कर पाए थे. अभी तक के आकलन के अनुसार, रॉन डबल डिजिट के फ़ासले से जीत दर्ज करने जा रहे हैं.
डीसैंटिस ने अपने कार्यकाल के दौरान इस राज्य को दोबारा रिपब्लिकन उम्मीदवारों के पक्ष में झुकाने में मदद की और नतीजों में उसका भी फ़ायदा मिला है.
इससे उनकी पार्टी को प्रतिनिधि सभा में बहुमत के लिए ज़रूरी पाँच में से कम से कम दो सीटें अपने पक्ष में करने में मदद मिली है.
डीसैंटिस अगर राष्ट्रपति चुनाव लड़ना चाहेंगे तो ये छोटी-छोटी सफ़लताएं उनके लिए रास्ता बनाएंगी.
डीसैंटिस के विजय जलूस में भी उनके समर्थक ‘दो साल शेष’ चिल्लाते हुए दिखे. संकेतों में इसका मतलब यही था कि अगर डीसैंटिंस अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें अपने चार साल लंबे कार्यकाल में से दो साल बाद ही इस्तीफ़ा देना होगा.
लेकिन अगर डीसैंटिंस साल 2024 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ना चाहेंगे तो उन्हें पहले अपने राज्य के सबसे कद्दावर रिपब्लिकन नेता और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होकर गुज़रना होगा.
ट्रंप के लिए इन नतीजों के मायने
डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी मध्यावधि चुनाव में किसी भी पद के लिए भले ही न खड़े हों. लेकिन वह अभी भी इस चुनाव में एक भूमिका निभा रहे हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने बीती शाम मार-ए-लागो स्थित अपने घर से अपने समर्थन वाले उम्मीदवारों की भारी जीत का दावा किया.
हालांकि, सच उनके दावों जितना सीधा-सपाट नहीं है.
डोनाल्ड ट्रंप ने कड़े मुकाबले वाली सीटों पर स्वाभाविक रिपब्लिकन विकल्पों की जगह जिन उम्मीदवारों को चुना है, वो संघर्ष करते दिखे हैं.
मेहमत ओज़ पेनसिल्वेनिया में सीनेट रेस हार गए हैं. इसके साथ ही जॉर्जिया में हर्शल वॉकर भी हारते हुए नज़र आ रहे हैं.
अरिज़ोना में ब्लैक मास्टर्स भी पीछे चल रहे हैं.
सिर्फ़ ओहायो में जेडी वेंस स्पष्ट रूप से जीत दर्ज करते नज़र आ रहे हैं. और उनकी जीत का अंतर भी बहुत ज़्यादा नहीं है.
मंगलवार की रात के बाद रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक ट्रंप की राजनीतिक समझ का अलग ढंग से मूल्यांकन करेंगे.
औ र ट्रंप अगर अगले हफ़्ते साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उतरने की घोषणा करते हैं तो वह ऐसा करते हुए सावधानी से क़दम उठाएंगे.
डेमोक्रेटिक सितारों के लिए निराशा
साल 2018 में अमेरिकी प्रांत टेक्सस में बीट ओ राउरके और जॉर्जिया में स्टेसी अबराम्स चुनाव हार गयी थीं.
लेकिन उनकी हार का अंतर इतना कम था कि उन्होंने चुनाव हारने के बाद भी डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थकों का दिल जीत लिया.
इन दोनों नेताओं ने जिस तरह कैंपेन फ़ंड में लाखों डॉलर जोड़े और ज़मीन पर समर्थकों और कार्यकर्ताओं की फ़ौज़ तैयार की, उसके बाद इन्हें पार्टी के भविष्य के रूप में देखा जा रहा था.
इनके समर्थकों को उम्मीद थी कि जब ये नेता अगले साल अपने गृह राज्यों में एक बार फिर चुनाव लड़ेंगे तो इन्हें सफ़लता मिल जाएगी.
लेकिन दोनों नेता ही ये कारनामा नहीं कर सके.
अबराम्स चार साल पहले रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार मैट कैंप से बहुत कम वोटों से हारी थीं. इस बार अबराम्स की हार का अंतर काफ़ी बढ़ गया है.
इसके साथ ही राउरके इस चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार से जिस फ़ासले से हारे हैं, वो सीनेटर टेड क्रूज़ से हार की तुलना में बहुत ज़्यादा है.
ऐसे में डेमोक्रेटिक पार्टी के मतदाताओं को अपने लिए नए नेताओं की तलाश करनी होगी. (bbc.com/hindi)