अंतरराष्ट्रीय

तीन अमेरिकी अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि सऊदी अरब ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ खुफिया जानकारी साझा की है जिससे पता चलता है कि ईरान सऊदी पर हमले की तैयारी कर रहा है.
बाइडेन प्रशासन ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद से हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर व्यापक कार्रवाई के लिए तेहरान की आलोचना कर रहा है और साथ ही वह ईरान द्वारा रूस को सैकड़ों ड्रोन भेजने और उसकी तकनीकी सहायता के लिए निंदा कर रहा है.
अब सऊदी द्वारा दी गई इस खुफिया जानकारी से अमेरिका की चिंता बढ़ गई है. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने एक बयान में कहा, "हम खतरे की तस्वीर के बारे में चिंतित हैं, और हम सैन्य और खुफिया चैनलों के माध्यम से सऊदी के साथ लगातार संपर्क में हैं. हम अपने हितों और क्षेत्र में अपने भागीदारों की रक्षा करने में नहीं हिचकिचाएंगे."
खुफिया जानकारी पर सऊदी की चुप्पी
सऊदी अरब ने इस मुद्दे पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही संयुक्त राष्ट्र में ईरान के मिशन ने कोई टिप्पणी की. खुफिया जानकारी साझा करने की पुष्टि करने वाले अधिकारियों में से एक ने इसे "जल्द ही या 48 घंटे के भीतर" हमले के एक विश्वसनीय खतरे के रूप में बताया.
क्षेत्र में किसी भी अमेरिकी दूतावास या वाणिज्य दूतावास ने इस संबंध में कोई अलर्ट जारी नहीं किया है, या सऊदी अरब में या मध्य में कहीं और अमेरिकियों के लिए दिशानिर्देश नहीं जारी किए गए हैं. दूतावास के अधिकारी सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करने और नाम न छापने की शर्त पर बोलने के लिए अधिकृत नहीं किए गए हैं.
अमेरिका ने कहा रक्षा और बचाव का अधिकार
पेंटागन के प्रेस सचिव ब्रिगेडियर जनरल पैट राइडर ने कहा "अमेरिकी सैन्य अधिकारी क्षेत्र में खतरे की स्थिति को लेकर चिंतित हैं."
उन्होंने कहा, "हम सऊदी साझीदारों के साथ लगातार संपर्क में हैं, इस संदर्भ में वे क्या जानकारी मुहैया करा सकते हैं." राइडर ने कहा, "लेकिन हमने पहले भी कहा है और मैं दोबारा कहता हूं कि हमें अपनी रक्षा और बचाव का अधिकार है, चाहे हमारी सेना इराक में या और कहीं सेवा कर रही हो."
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका खतरे की तस्वीर को लेकर चिंतित है. उन्होंने इस बारे में विस्तार से और कुछ नहीं बताया.
मंगलवार को वॉल स्ट्रीट जनरल से सबसे पहले रिपोर्ट की थी कि सऊदी अमेरिका के साथ जानकारी साझा कर रहा है.
ईरान लगा रहा है प्रदर्शन भड़काने का आरोप
ईरान ने बिना सबूत दिए आरोप लगाया है कि सऊदी अरब और अन्य प्रतिद्वंद्वी आम ईरानियों को देश की सड़कों पर उतरकर विरोध करने के लिए भड़का रहे हैं. ईरान विशेष तौर पर विरोध प्रदर्शनों की लंदन स्थित फारसी चैनल ईरान इंटरनेशनल की कवरेज को लेकर खफा है, इस चैनल में कभी सऊदी नागरिक का भारी निवेश था.
अमेरिका और सऊदी साल 2019 में पूर्वी सऊदी में एक बड़े हमले के लिए ईरान पर आरोप लगाया था, हमले के कारण तेल समृद्ध साम्राज्य को तेल उत्पादन में कमी करनी पड़ी थी और यह हमला तेल की कीमतों में वृद्धि का कारण बना था. लेकिन उस हमले में इस्तेमाल किए गए त्रिकोण के आकार के बम ले जाने वाले ड्रोन अब यूक्रेन युद्ध में रूसी सेना द्वारा तैनात किए जा रहे हैं.
हाल के सालों में यमन में ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों ने सऊदी पर कई हमले किए गए हैं, जिनमें ड्रोन, मिसाइल और मोर्टार शामिल हैं. सऊदी ने हूथी विद्रोहियों से लड़ने के लिए 2015 में एक गठबंधन बनाया था और उसके हवाई हमले के कारण कई आम नागरिकों की मौत के कारण अंतरराष्ट्रीय आलोचना हुई थी.
सितंबर महीने में 22 साल की कुर्द महिला महसा अमीनी की पुलिस हिरास में मौत के बाद ईरान में हो रहे विरोध प्रदर्शन को कुचलने पर बाइडेन प्रशासन ने ईरान के दर्जन भर से ज्यादा अधिकारियों को प्रतिबंधित कर दिया है. बाइडेन प्रशासन ने ईरान पर रूस को ड्रोन मुहैया कराने के लिए भी प्रतिबंध लगाया है.
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के मुताबिक महसा अमीनी की मौत के बाद भड़के विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 288 लोगों की मौत हो चुकी है और 14,160 प्रदर्शनकारी गिरफ्तारी किए जा चुके हैं.
एए/सीके (एपी)