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महसा अमीनी के गृहनगर में मातम मनाने के लिए जुटे लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने फ़ायरिंग की.
ख़बर है कि महसा के गृहनगर साक़िज़ में हज़ारों की संख्या में मातम मनाने के लिए लोग जुटे थे, जिन पर पुलिस ने फ़ायरिंग की. हालांकि फ़ायरिंग में किसी के हताहत होने की सूचना अभी तक नहीं है.
महसा की मौत को 40 दिन हो चुके हैं और उनकी मौत के साथ शुरू हुए प्रदर्शन अभी भी जारी हैं.
बुधवार को उनकी मौत के 40 दिन पूरे होने के अवसर पर हज़ारों की संख्या में लोग उनकी कब्र पर जमा हुए.
एक मानवाधिकार समूह के सदस्य और चश्मदीद ने बताया कि अधिकारियों ने लोगों पर गोलियां बरसाईं और भीड़ पर आंसू गैस के गोले भी दागे.
बुधवार को साक़िज़ में बड़ी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी और कुर्दिश प्रांत के दूसरे इलाक़ों में भी पुलिस मौजूद थी.
ईरान में किसी की मौत के 40 दिन के बाद एक ख़ास शोक सभा की जाती है, जिसके लिए हज़ारों की संख्या में लोग अमीनी के गृहनगर में जुटे थे.
सोशल मीडिया पर यहां के कई वीडियो मौजूद हैं, जिनमें साफ़ दिखाई दे रहा है कि हज़ारों की संख्या में लोग सड़क पर चले जा रहे हैं. वे कैसे भी करके अमीनी की कब्र तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं.
वीडियो में लोगों को "औरतें, ज़िंदगी, आज़ादी" और "तानाशाह की मौत" जैसे नारे लगाते सुना जा सकता है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इस मौक़े पर अमीनी के परिवार के लोग भी मौजूद थे या नहीं.
परिवार के एक क़रीबी ने बीबीसी को बताया कि खुफ़िया विभाग के अधिकारियों ने अमीनी के पिता पर दबाव बनाया था कि वे किसी भी तरह के समारोह का आयोजन ना करें.
महसा की मौत पर परिवार ने उठाए हैं सवाल
महसा को कथित तौर पर हिजाब पहनने के नियम के उल्लंघन के लिए हिरासत में लिया गया था. जिसके बाद तेहरान के एक अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया था.
वो तीन दिनों तक कोमा में रही थीं.
उनके परिवार का आरोप है कि महसा को पुलिस कस्टडी में पीटा गया था. हालांकि अधिकारियों ने इससे इनकार किया है. (bbc.com/hindi)