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चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को पार्टी अधिवेशन से बाहर क्या शी जिनपिंग के इशारे पर ले जाया गया?
23-Oct-2022 9:10 AM
चीन के पूर्व राष्ट्रपति हू जिंताओ को पार्टी अधिवेशन से बाहर क्या शी जिनपिंग के इशारे पर ले जाया गया?

-स्टीफ़न मैकडॉनेल

पू्र्व राष्ट्रपति हू जिंताओ (बीच में) बाहर जाते समय राष्ट्रपति शी जिनपिंग (दाएँ ) से कुछ कहते हुए. सबसे बाएँ बैठे हैं- पीएम ली केकियांग.

2003 से 2013 तक चीन के राष्ट्रपति रह चुके हू जिंताओ को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के हर पांच साल पर होने वाले कांग्रेस के समापन समारोह से बाहर ले जाने का वीडियो वायरल हो रहा है.

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार इस वीडियो में कमज़ोर दिख रहे 79 साल के जिंताओ राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बाईं ओर कुर्सी पर बैठे दिख रहे हैं. वहीं जिंताओ के बाईं ओर ली झांशू और वांग हुनिंग बैठे हैं, जबकि जिनपिंग के दाईं ओर निवर्तमान प्रधानमंत्री ली केकियांग बैठे दिख रहे हैं.

वीडियो में दिख रहा है कि दो अधिका​री जिंताओ को बाहर चलने को कह रहे हैं. उनमें से एक अधिकारी तो उन्हें पीछे से पकड़कर उठाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि सरकार की ओर से अभी तक इस बारे में कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं हुआ है.

दोनों अधिकारी हू जिंताओ को जब बाहर ले जा रहे थे, तब उन्होंने राष्ट्रपति जिनपिंग के पास रुक कर उनसे कुछ कहा. राष्ट्रपति जिनपिंग ने भी सिर हिलाते हुए कुछ कहा.

हू जिंताओ ने फिर पीएम ली केकियांग का कंधा पीछे से छुआ. उसके बाद वे दोनों अधिकारी उन्हें लेकर 'ग्रेट हॉल ऑफ़ द पीपुल' के बाहर चले गए.

वीडियो दुनिया भर में वायरल
हू जिंताओ को मंच से बाहर ले जाने वाला वीडियो तेज़ी से पूरी दुनिया में वायरल हो गया है. ऐसा क्यों हुआ, इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं. इसे लेकर कई सवाल उठ रहे हैं, लेकिन चीन की सरकार की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है.

इस वीडियो में दिख रहा है कि हू जिंताओ एक समय बाहर जाने को बिल्कुल तैयार नहीं थे. वीडियो में यह भी दिख रहा है कि खड़े होने के बाद हू जिंताओ ग़लती से शी जिनपिंग के नोट्स उठाने लगे. उस वक़्त वो भ्रमित दिखाई दे रहे थे. फिर ​शी जिनपिंग ने हू जिंताओं का हाथ हटाकर अपने नोट्स वापस ले लिए.

सवाल यह भी उठ रहा है कि आख़िर उन्होंने अपने उत्तराधिकारी जिनपिंग से क्या कहा होगा? और उन्होंने पीएम ली केकियांग का कंधा छूकर क्या कहा होगा?

जिंताओं को बाहर ले जाने की दो सबसे वाज़िब वजह जो हो सकती है, उनमें से पहली यह कि चीन की 'पावर पॉलिटिक्स' अब अपने शबाब पर पहुँच गई है. और देश के पूर्व नेता को सिर्फ़ 'संदेश देने के लिए' मंच से हटाया गया.

दूसरी वजह ये हो सकती है कि जिंताओ को कोई गंभीर स्वास्थ्य समस्या हुई हो. लेकिन यदि उन्हें उनके ख़राब स्वास्थ्य के चलते हटाया जाता, तो फिर यह सब अचानक से क्यों हुआ? और यह भी कि ऐसा कैमरे के सामने क्यों हुआ? क्या कोई इमरजेंसी थी?

कम्युनिस्ट पार्टी की सामूहिक बैठकों की कार्यवाही आम तौर पर किसी पटकथा के अनुसार तय होती है. ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि जिंताओं को बाहर ले जाने का मामला कोई दुर्घटना नहीं हो सकती.

पार्टी आम तौर पर ऐसी घटनाओं के वीडियो जारी नहीं करती, लेकिन यदि ऐसा जान-बूझकर किया गया है, तो फिर ये नई बात है.

वह इसलिए कि सीपीसी अधिवेशन के अंतिम दिन उन्होंने पहले तो बंद कक्ष में हुई बैठक में भाग लिया, उसके बाद कैमरों से प्रसारण करने की अनुमति दी गई. कैमरे लगने के बाद ही अधिकारियों ने हू जिंताओं से मिलकर उन्हें बाहर चलने को कहा.

रविवार से चल रहे चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासम्मेलन में मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग को ऐतिहासिक तीसरा कार्यकाल दिए जाने की पूरी उम्मीद है. यदि ऐसा होता है तो माओत्से तुंग के बाद दो से अधिक कार्यकाल तक शासन करने वाले वे चीन के पहले नेता होंगे.

हू जिंताओ, शी जिनपिंग से बिल्कुल अलग चीन का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनके शासन में सामूहिकता का भाव, जिनपिंग के शासन की तुलना में कहीं अधिक रहा. उनके समय में पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी में उन्हें विभिन्न गुटों का ख्याल रखना पड़ता था.

असल में जिंताओं के कार्यकाल को बंद चीन के खुलने और नए विचारों के प्रति सहिष्णुता बढ़ाने के तौर पर देखा गया था.

2008 का बीजिंग ओलंपिक अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिहाज़ से सबसे बेहतरीन वक़्त था. विदेशी कंपनियों और विदेशी पर्यटकों की बड़ी संख्या में चीन में आ रही थीं. इंटरनेट पहले से अधिक आज़ाद था. चीन के मीडिया संस्थान अच्छी पत्रकारिता कर रहे थे. और इस सबसे दुनिया में चीन की प्रतिष्ठा लगातार सुधर रही थी.

हालांकि कई लोग हू जिंताओं के शासनकाल को 'बेकार' कहकर बुलाते हैं, लेकिन उस समय देश का आर्थिक विकास लगातार दोहरे अंकों में हो रहा था.

बदला हुआ चीन
शी जिनपिंग जब से पार्टी महासचिव बने, तब से वे चीन को बहुत ही अलग दिशा में ले गए हैं. इसके केंद्र में वे ख़ुद हैं और उन्हें चुनौती नहीं दी जा सकती.

वर्तमान सरकार के राज में राष्ट्रवादी भावना में एक विस्फोट हुआ है. यह सरकार कोई भी फ़ैसला लेते वक़्त ज़्यादा नहीं सोचती कि और लोग क्या सोचेंगे. इसके बजाय, शी जिनपिंग की सरकार यह संदेश देने की कोशिश कर रही है कि चीन का वक़्त अब आ गया है. ऐसे में इस देश के साथ खिलवाड़ करने वाले ख़ुद को ही ख़तरे में डालेंगे.

इसका पता शनिवार को चुनी गई सीपीसी की 205 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी की बनावट से भी चलता है. नई सेंट्रल कमेटी में न तो प्रधानमंत्री ली केकियांग शामिल हैं और न ही वांग यांग हैं. आ​र्थिक एजेंडे के मामले में इन दोनों को 'लिबरल' माना जाता है. साथ ही इन दोनों को वैचारिक तौर पर पहले वाले शासन से प्रभावित बताया जाता है.

वहीं नई बनी पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी में भी वे लोग ही हैं, जो शी जिनपिंग के वफादार माने जाते हैं. शनिवार को चीन का भविष्य तय करने वाले शी जिनपिंग के विचारों का मंज़ूर करते हुए पार्टी के संविधान में बदलाव कर दिए गए.

पिछले रविवार को कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति जिनपिंग ने हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के किए गए दमन को उचित ठहराया. चीन की कार्रवाई को उन्होंने अराजकता दूर करने के लिए की गई कार्रवाई क़रार दिया. उन्होंने ताइवान पर क़ब्ज़ा करने के लिए चीन के बल प्रयोग के अधिकार का भी समर्थन किया.

शी जिनपिंग ने 'संघर्ष' के ज़रिए हासिल उपलब्धियों का ज़िक्र करते हुए चीन के नागरिकों को संदेश दिया. इसमें माओत्से तुंग के शासनकाल की गूँज सुनाई देती है.

पार्टी महासचिव और देश के मुखिया के तौर पर जिनपिंग ने शुरू से ही भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई के ज़रिए अपने तमाम विरोधियों को नेपथ्य में धकेल दिया. माना जा रहा है कि इस बार के कांग्रेस का इस्तेमाल वैसे लोगों के किसी भी अंतिम अवशेष को दूर करने के लिए किया है, जो सोचते हैं कि देश के आगे बढ़ने की राह अलग होनी चाहिए.

शी जिनपिंग फ़िलहाल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव के साथ देश के राष्ट्रपति और सेना प्रमुख भी हैं. उन्हें 'सर्वोपरि' या 'सर्वोच्च नेता' के रूप में भी जाना जाता है. रविवार को पार्टी महासचिव का तीसरा कार्यकाल उन्हें मिलने और फिर अपनी नई टीम का एलान करने की उम्मीद है.

इससे पहले, 2018 में उन्होंने राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की तय सीमा ख़त्म कर दी थी. इस फ़ैसले से ही चीन पर अनिश्चित काल तक उनके राज करने का रास्ता साफ़ हो गया था.(bbc.com/hindi)

 


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