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एफ़एटीएफ़ की ग्रे लिस्ट से बाहर हुआ पाकिस्तान
21-Oct-2022 9:56 PM
एफ़एटीएफ़ की ग्रे लिस्ट से बाहर हुआ पाकिस्तान

मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फ़ंडिंग की रोकथाम के अंतरराष्ट्रीय संगठन फ़ाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने ट्वीट कर पाकिस्तान के लोगों को इस मौके पर बधाई दी है.

उन्होंने लिखा, "पाकिस्तान के लोगों को बधाई. पाकिस्तान को आधिकारिक तौर पर एफ़एटीएफ़ की 'ग्रे लिस्ट' से हटा दिया गया है. पाकिस्तान जिंदाबाद."

प्रधानमंत्री ने जताई खुशी

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने देश के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो, सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा और उनकी टीम के साथ ही सभी राजनीतिक दलों का शुक्रिया अदा किया. उन्होंने कहा कि सबके एकजुट प्रयास से ही पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आ पाया है.

उन्होंने ये भी कहा कि ‘‘एफ़एटीएफ़ की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान का बाहर आना कई सालों के हमारे प्रयास की वजह से संभव हो सका है. मैं देश की सिविल और मिलिटरी लीडरशिप और साथ ही उन सभी संस्थानों को मुबारकबाद देता हूं जिनके कठिन परिश्रम से आज की कामयाबी हासिल हुई है. आप सबको बहुत बहुत मुबारक.

ग्रे-लिस्ट में नाम आने पर नुकसान

किसी देश को ग्रे लिस्ट में रखने या न रखने का फ़ैसला एफ़एटीएफ़ का ही एक संगठन 'इंटरनेशनल कोऑपरेशन रिव्यू ग्रुप' यानी 'आईसीआरजी' करता है.

ग्रे लिस्ट में होने के कारण पाकिस्तान को आईएमएफ़, वर्ल्ड बैंक और एशिया डेवलपमेंट बैंक से मदद लेने में मुश्किल आ रही थी.

ग्रे लिस्ट में वे देश शामिल होते हैं जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गुटों को मिलने वाली आर्थिक मदद पर अंकुश लगाने में कोताही बरतते हैं.

ग्रे लिस्ट में आने से पाकिस्तान को हर साल लगभग 10 अरब डॉलर से ज्यादा का नुक़सान हो रहा था.

FATF क्या है?

एफ़एटीएफ़ एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना G7 देशों की पहल पर 1989 में की गई थी. संस्था का मुख्यालय फ़्रांस की राजधानी पेरिस में है, जो दुनिया भर में हो रही मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए नीतियाँ बनाता है.

साल 2001 में इसने अपनी नीतियों में आतंकवाद के वित्तपोषण को भी शामिल किया था. संस्था अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को सही रखने के लिए नीतियाँ बनाता है और उसे लागू करवाने की दिशा में काम करता है. इसके कुल 39 सदस्य देश हैं, जिनमें भारत, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चीन भी शामिल है.

जून 2018 से पाकिस्तान दुनिया भर के मनी लॉन्ड्रिंग पर नज़र रखने वाली संस्थाओं के रडार पर है. पाकिस्तान इन संस्थाओं के निशाने पर तब आया जब उसे आतंकवादियों को फ़ंड करने और मनी लॉन्ड्रिंग के ख़तरे को देखते हुए 'ग्रे लिस्ट' में डाल दिया गया था.

एफएटीएफ़ द्वारा किसी देश को ग्रे लिस्ट में डालने का मतलब है कि उस देश को चेतावनी दी जा रही है. समय रहते उन क़दमों पर अमल कर दे ताकि मनी लॉन्ड्रिंग और चरमपंथी गुटों को मिलने वाली आर्थिक मदद पर अंकुश लगाया जा सके.

लेकिन इस चेतावनी के बाद भी अगर कोई देश वो क़दम नहीं उठाता तो उसे एफएटीएफ़ द्वारा ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाता है.

एफ़एटीएफ़ के नियमों के अनुसार ब्लैकलिस्ट से बचने के लिए किसी भी देश को तीन सदस्यों के समर्थन की ज़रूरत होती है. (bbc.com/hindi)


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