गरियाबंद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 16 अक्टूबर । ब्लॉक गरियाबंद में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और चैतन्य संस्था के सहयोग से जीआरसी स्थापित करने हेतु महिलाओं के लिए एक विशेष जेंडर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को जेंडर से संबंधित भेदभाव और असमानताओं के प्रति जागरूक करना और इन असमानताओं के कारन समाझ में जो हिंसा जन्म लेती है उसकी जानकारी देना ,उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देना है।
इस कार्यक्रम में कोचबाय, जोबा, धवलपुर, मदनपुर क्लस्टर की ग्राम संगठन एवं समूह की महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं को बताया कि लिंग एवं लिंगभाव, पतृसत्ता , सामजिकरण , घर व कार्यस्थल और समाज में असमान व्यवहार और कानून की आधारभूत जानकारी जैसे कार्यस्थल पर यौन उत्पीडऩ से संरक्षण अधिनियम 2013, घरेलू हिंसा अधिनियम 2005, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, दहेज निषेध अधिनियम 1961, कन्या भ्रूण हत्या रोकथाम अधिनियम 1994 के बारे में विस्तार से बताया गया, जिसके माध्यम से इस असमानता को दूर किया जा सकता है। यह भी बताया कि ये कानून महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह प्रशिक्षण जिला समन्वयक विभा साहू , स्वर फेलो सीमा तिवारी , जेंडर मास्टर ट्रेनर (लालिमा, यश कुमारी , स्मिता ) प्रदान किया गया। जिसमें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की ब्लॉक एवं जिला टीम का पूर्ण सहयोग प्राप्त है।
जीआरसी का उद्देश्य - महिला एवं बालक-बालिकाओं के जेंडर संबंधित मुद्दों को उठाने, सेवा प्रदाताओं के साथ जुडऩे एवं संबंधित विभागों से मदद लेने में, सामुदायिक कुप्रथाओं को समाप्त करने, साथ ही साथ समाज के वंचित एवं ग्रामीण वर्गों के खिलाफ होने वाले घरेलू हिंसा एवं भेदभाव के मामलों पर संगवारी जेंडर रिसोर्स सेंटर एक अग्रणी प्रणालीगत और सामाजिक बाधाओं को समाप्त करने वाली इकाई के तौर पर सामुदायिक संस्थानों के मध्य एक मंच के रूप में कार्य करेगा।समाज में ग्रामीण एवं वंचित परिवारों को सामाजिक संस्थानों के सहयोग से सामूहिक कार्य में सम्मिलित होने हेतु नीति स्तर पर परिवर्तन करने वाली सफल इकाई के रूप में कार्य।इस संस्था के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं एवं वंचित वर्गों को एक ही छत के नीचे एकीकृत समर्थन, सेवाएँ एवं मार्गदर्शन प्रदान करना - जैसे: हकदारियों एवं अधिकारों, चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक, कानूनी, आश्रय, पुनर्वास और अन्य परामर्श सहायता।


