गरियाबंद

दीपावली का महापर्व माता लक्ष्मी भगवान नारायण का पंचामृत-शास्त्री
10-Nov-2023 2:03 PM
दीपावली का महापर्व माता लक्ष्मी भगवान नारायण का पंचामृत-शास्त्री

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा-राजिम, 10 नवंबर। नगर के पं. ब्रह्मदत्त शास्त्री ने कहा कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन समुद्र से धन्वंतरी प्रगट हुए थे। हाथों में अमृत कलश, औषधि, आयुर्वेद ग्रन्थ और वर मुद्रा के साथ चतुर्भुज रूप थे। दीपावली का पर्व धनतेरस के साथ प्रारंभ होता है। धनतेरस पूजन आयुष्य और आरोग्य प्राप्त करने के लिए करते हैं।

पं. शास्त्री ने बताया कि धन तेरस अन्नपूर्णा का मुहूर्त है। इसलिए इस दिन रसोईघर से जुड़े हुए बरतन, सुहाग, श्रृंगार सामग्री, सोने चांदी के आभूषण आदि खरीदी की जाती है। आज के दिन कुबेर जो कि लक्ष्मीजी के कोषाध्यक्ष हैं, उनका पूजन भी किया जाता है। इसलिए शास्त्रों में अपने गृहस्थ जीवन की उपयोगी जमीन, जायदाद, वाहन, वस्त्र, आटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि वस्तुएं खरीदने के लिए धनतेरस को बड़ी शुभ तिथि माना जाता है। धनतेरस को औषधि और दीपदान का बड़ा महत्व है। इस दिन च्यवनप्राश, घी, तेल, औषधि स्वरूप मसाले, हल्दी, धनिया, सुपारी आदि का दान किया जा सकता है।

पं. ब्रह्मदत्त शास्त्री ने बताया कि 10 नवम्बर धनतेरस है। इस दिन शाम को नगर के सुप्रसिद्ध वैद्य राजेंद्र गदिया द्वारा भगवान धन्वंतरि का पूजन कार्यक्रम रखा गया है। वे विगत 43 वर्षों से यह आयोजन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार 11 नवम्बर को त्रयोदशी तिथि दोपहर 1 बजकर 57 मिनट तक है। 11 नवम्बर शनिवार को हनुमानजी का जन्मोत्सव भी है। यद्यपि 12 को अपरान्ह 2.44 तक चतुर्दशी है, उसके बाद अमावस्या तिथि लग जायेगी। लोग 11 नवम्बर को ही रात्रि में यमराज के निमित्त आटे का चौमुखी दिया अपने घरों के नैरित्य कोण में जलाएंगे और फिर बाद में 14 दीपक भी जलाकर लोक मान्यताओं के अनुसार छोटी दिवाली मनाएंगे। 12 नवम्बर को सूर्योदय से पूर्व उबटन आदि लगाकर स्नान और दीपदान का बड़ा महत्व बताया गया है। 12 नवम्बर रविवार को महालक्ष्मी के प्राकट्य की तिथि है। सतयुग में समुद्र मंथन से इसी दिन महालक्ष्मी जी निकली थी और श्री विष्णुजी के साथ इसी दिन उनका विवाह भी हुआ था।  इसी दिन त्रेता युग में रावणवध व लंका विजय करके भगवान श्री राम अयोध्या लौटे थे।

इस खुशी में घर घर दीप जलाकर लोग उत्सव मनाते हैं। इस दिन सुबह 9 बजे से लेकर 12 बजे तक व्यापारी लोग गद्दी पूजन कर सकते है। 11.36 से 12.24 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है। दोपहर 1.30 से 3 बजे तक शुभ का चौघडिय़ा है।

 फिर शाम को 3.50 से 5.20 तक गोधुली बेला है, जोकि पंचांग के सारे दोषों से मुक्त, शुद्ध और पवित्र मानी गई है। गृहस्थ लोगों के लिए यह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। रात्रि 10.20 बजे तक शुभ, अमृत और चल का चाघडिय़ा है।

 13 नवम्बर को सोमवती अमावस्या है, जिसे दर्श और श्राद्ध अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व है। 

ब्रह्मदत्त शास्त्री ने बताया कि अन्नकूट महोत्सव 14 नवम्बर बालदिवस के दिन है। द्वापर युग में प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत उठाया था। सामूहिक शक्ति और संसाधनों के महत्व को रेखांकित करते हुए यह पर्व मनाया जाता है।

 15 नवम्बर बुधवार को भाई दूज है। इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने धरती पर आए थे। यमुना ने उनको तिलक लगाकर भोजन कराया था, इस दिन भाई बहन मिलकर साथ में यमुना स्नान करते है, तो पुण्योदय के फलस्वरूप उन्हें यम यातना नहीं सहनी पड़ती। पंडित शास्त्री ने इन पांच दिनों के इस महापर्व को भगवान श्री लक्ष्मी नारायण का पंचामृत बताया है।


अन्य पोस्ट