दुर्ग

मन के विचारों की क्वालिटी सकारात्मक, तभी जीवन आनंदमय
09-Dec-2021 6:10 PM
मन के विचारों की क्वालिटी सकारात्मक, तभी जीवन आनंदमय

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

दुर्ग, 9 दिसंबर। ब्रह्माकुमारीज दुर्ग के बघेरा स्थित आनंद सरोवर सभागार में छत्रपति शिवाजी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों का एक दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ ओम शांति का महत्व बताते हुए ब्रह्माकुमारी चैतन्य प्रभा ने बताया  कि ओम शांति अर्थात मैं चैतन्य आत्मा हूं और यह मेरा शरीर है मैं आत्मा शांत स्वरूप हूं व मेरे पिता परमात्मा शांति के सागर है व मेरा घर शांतिधाम है। वर्तमान परिस्थिति में मन को हर परिस्थिति में कैसे हल्का रखें यह हमें निराकार परमपिता परमात्मा शिव राजयोग के द्वारा सिखा रहे हैं जीवन के चार स्तंभ है।

शारीरिक मानसिक व आध्यात्मिक  आज दुनिया में माता-पिता हर चीज के लिए ध्यान रखते हैं किंतु जिस चीज की आवश्यकता है कि हर परिस्थिति में कैसे मेरा मन शांत व खुश रहे यह कोई माता-पिता नहीं सिखाता इसे केवल परमपिता परमात्मा सिखाते हैं और यह आती है आध्यात्मिकता से आध्यात्मिक वो विधि है जो मैं जीवन में आने वाली हर परिस्थिति का सामना व समाधान कर सकूं जो ब्रह्माकुमारीज में सिखाया जाता है। जीवन जीने की विधि जिससे हर परिस्थिति में मन को शांत व खुश रख सकूं मेरे मन के विचारों की क्वालिटी चिंता वाली है उसका आधार क्या है? सुबह से लेकर रात तक हम जो देखते, सुनते व पढ़ते हैं।

उसी अनुसार हमारा जीवन बनता है यदि मन के विचारों की क्वालिटी सकारात्मक है, तो जीवन में खुशी शांति व जीवन आनंदमय होगा यदि मन के विचारों की क्वालिटी नकारात्मक है, तो अशांति, चिंता व डिप्रेशन वाली होगा हमारी विचारों की क्वालिटी जिस प्रकार होगी धीरे-धीरे हमारा जीवन भी वैसे बनने लगता है। आज हमें यहां स्वयं को देखना है कि मेरे में स्वयं के बारे में क्या पुरानी मान्यताएं बैठी है, जो मेरे सफलता में बाधक है। सारे दिन हर कार्य करते हैं किंतु प्रात: काल उठते स्वयं के लिए आधा घंटा निकालना है।

अपने मन में एक संकल्प करना है कि मैं यूनिक हूं, मैं परमात्मा की संतान हूं, मैं विशेष हूं जब हम मेडिटेशन में बैठकर यह संकल्प करते हैं तो हमारे चारों ओर सकारात्मक आभामंडल का निर्माण होता है जब हम किसी , महात्मा या ऋषि मुनि के पास जाते हैं तो कहते हैं कि आप कृपा करो आशीर्वाद करो यह कृपा व आशीर्वाद वास्तव में सकारात्मक विचारों के प्रक्रम्पन है, जो हमें जीवन में सफलता दिलाती है। यदि हम स्वयं में प्रतिदिन यह सकारात्मक संकल्प करते हैं तो स्वयं को स्वयं ही आशीर्वाद दे सकते हैं स्वयं के जीवन के सारे अवरोध को समाप्त कर सकते हैं जो हमारे सफलता में बाधक है।

ब्रह्माकुमारीज दुर्ग की संचालिका ब्रम्हाकुमारी रीटा बहन ने उपस्थित छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आप जो पढ़ाई पढ़ते हैं। उसे हम अलौकिक पढ़ाई कहते हैं और यहां प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में जो पढ़ाई, पढ़ाई जाती है। इसे अलौकिक पढ़ाई कहते हैं। जीवन-यापन के लिए लौकिक पढ़ाई आवश्यक है किंतु हमारे जीवन में आंतरिक सुख शांति रहे उसके लिए यह अलौकिक ईश्वरी पढ़ाई जो स्वयं परमपिता परमात्मा शिव साकार मनुष्य तन का आधार ले सभी मनुष्य आत्माओं को यह पढ़ाई पढ़ा रहे हैं। यह अलौकिक ईश्वरी पढ़ाई भी आवश्यक है। हम  24 घंटे में आधा घंटा हम स्वयं के लिए यदि निकालें तो तो हमारा जीवन श्रेष्ठ बन जाएगा । ब्रह्माकुमारी संगीता बहन ने आपने लौकिक व अलौकिक जीवन का अनुभव सभी से साझा किया कि किस प्रकार शारीरिक सामाजिक व मानसिक चुनौतियां जीवन में आई जिसे आध्यात्मिकता के द्वारा मैंने सहज रीति से पार किया व सफलता को प्राप्त किया। इस आयोजन में राजीव नायर का विशेष सहयोग रहा। डॉ. चंद्रशेखर शर्मा, डॉ. शैलेंद्र कुशवाहा, प्रोफेसर रजनी कटकवार, सागर देशमुख, राकेश साहू, ब्रह्माकुमार उमेश भाई, ब्रह्माकुमार गोपी भाई उपस्थित थे।


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