धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 11 नवंबर। किसानों को आधुनिक और टिकाऊ खेती की दिशा में प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से भखारा में सूखे सीधी बुआई डीडीएसआर प्रौद्योगिकी पर एकदिवसीय गोष्ठी एवं प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें किसानों को सूखे सीधे बीज वाले धान की तकनीक के लाभ और उपयोगिता से अवगत कराया गया ।
कृषि विस्तार अधिकारी कल्याण सिंह ध्रुव ने बताया कि पारंपरिक धान की खेती में एक किलो धान के लिए लगभग 5 हजार लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि सूखे सीधे बीज वाले धान में मात्र 2 हजार से 2,500 लीटर पानी पर्याप्त होता है। यह विधि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी सफलतापूर्वक अपनाई जा सकती है। यह तकनीक पानी की कमी और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने में सहायक सिद्ध होंगी। किसान क्राफ्ट बीज अनुसंधान प्रमुख डॉ. सुमन्त होल्ला ने बताया कि इस तकनीक से किसान मिट्टी की उर्वरता के आधार पर अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।
स्वाद में कोई परिवर्तन नहीं होता और खेती की लागत में उल्लेखनीय कमी आती है। डेवलपमेंट मैनेजर किशनजीत सिन्हा ने कहा कि इस विधि में नर्सरी तैयार करने, रोपाई करने या खेतों में पानी रोकने की आवश्यकता नहीं होती। यह पर्यावरण के अनुकूल तकनीक है, जिससे मीथेन उत्सर्जन भी कम होता है। गोष्ठी के दौरान छोटे किसानों के लिए विकसित कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।


