‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर, 8 दिसंंबर। प्रतापपुर वन विभाग के तहत आने वाले कई गांवों में इन दिनों हाथियों का दल घूम रहा है।
इस दल में 9 हाथी शामिल हैं, जिनमें से एक हाथी प्रतापपुर के बगड़ा गांव में घूम रहा है, जबकि बाकी 8 हाथी सोनगरा से लगे ग्राम मोहनपुर में हैं, जो सूरजपुर वनमंडल में आता है। इन गांवों में हाथी लगातार फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। खासकर गन्ना और धान की फसलें, जो पूरी तरह से तैयार हो चुकी थीं, हाथियों के कारण नष्ट हो रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रतापपुर वन परिक्षेत्र जिला सूरजपुर अंतर्गत इन गांवों में जहाँ हाथी सक्रिय रूप से घूम रहे हैं, उनमें नावाडीह, पेंडारी, सोनपुर, मसगा, धरमपुर, सिंघरा, सरहरी, बगड़ा, कोटैया, करंज वार, गौरा, ख़ोरमा, गोटगांवा और अन्य ग्राम शामिल हैं। यह गांव प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आते हैं, और यहां के किसान हाथियों के हमले से खासे परेशान हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग हाथियों की निगरानी में लापरवाही बरत रहा है। न तो वन विभाग के कर्मचारी रात के समय जंगलों में ठीक से निगरानी करते हैं, और न ही क्षेत्र में हाथियों के मूवमेंट की सही तरीके से मॉनिटरिंग की जाती है। वन विभाग ने छोटे कर्मचारियों और हाथी मित्र दल के भरोसे काम छोड़ रखा है, जबकि यह दल सीमित संसाधनों और प्रशिक्षण के साथ काम करता है। ग्रामीणों का कहना है कि विभाग उन्हें हाथियों के आने की पूर्व सूचना नहीं देता और न ही सुरक्षा उपायों के बारे में सचेत करता है।
हाल ही में प्रतापपुर वन परिक्षेत्र से 6 किलोमीटर दूर ग्राम सरहरी में एक मादा हाथी का शव सड़ी-गली अवस्था में पाया गया,जिसका शव लगभग 10 दिन पुराना था जो यह दर्शाता है कि विभाग की निगरानी व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं।जबकि शव की दुर्गंध कई किलोमीटर तक फैला था जो रोड तक आ रहा था, जबकि वन विभाग की गाड़ी इसी रास्ते से गुजरती है लेकिन वन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी।
इसके अलावा, वन विभाग द्वारा गांववालों को टॉर्च और अन्य सुरक्षा उपकरणों की भी व्यवस्था नहीं की जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि जब उन्होंने विभाग से इन उपकरणों की मांग की, तो अधिकारियों ने जवाब दिया कि हमारे पास कोई बजट नहीं है। इस वजह से रात के समय हाथियों के हमलों से बचाव करना और भी कठिन हो गया है।
साथ ही, फसलों के नुकसान का मुआवजा भी प्रभावित किसानों को समय पर नहीं मिल पा रहा है। कई किसान कई वर्षों से मुआवजा राशि का इंतजार कर रहे हैं। हाल ही में ग्राम घुई में सैकड़ों ग्रामीणों ने वन विभाग को घेर लिया, जिसके बाद मुआवजा वितरण की प्रक्रिया शुरू की गई।
ग्रामीणों ने वन विभाग की कार्यशैली पर कड़ी आपत्ति जताते हुए, जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि हाथियों के मूवमेंट की निगरानी के लिए अधिक संसाधनों और कर्मचारियों की तैनाती की जाए, ताकि फसलों और जान-माल की सुरक्षा की जा सके।
इसके अलावा, ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि उच्च अधिकारी, रेंजर और एसडीओ जैसे महत्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी निभाने वाले कर्मचारी अक्सर मुख्यालय में नहीं रहते हैं, जिससे स्थानीय समस्याओं के समाधान में देरी हो रही है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि अगर समय रहते कार्यवाही नहीं की जाती तो वे उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
जल्द समाधान नहीं होता तो सडक़ परउतर कर करेंगे विरोध-सरपंच
ग्राम पंचायत ख़ोरमा के सरपंच जालिम साय ने कहा कि हमारा ग्राम प्रतापपुर वन मंडल से लगा हुआ है, लेकिन फॉरेस्ट के द्वारा कोई साधन नहीं मुहैया कराया जाता। जब भी उच्च अधिकारियों को फोन किया जाता है तो फोन भी रिसीव नहीं किया जाता है। अगर जल्द समाधान नहीं होता तो सडक़ में उतर कर इसका विरोध करेंगे।
इसी तरह ग्राम पंचायत करंज वार के सरपंच विक्रम सिंह ने बताया कि हमारे ग्राम में हाथी द्वारा फसल या घरों को नुकसान पहुंचाने पर भी फॉरेस्ट रेंज में कोई भी कर्मचारी या अधिकारी न तो ठीक से ग्राम का मुआयना करते हैं और न ही लोगों को जागरूक करते हैं। जिसके चलते आय दिन विवाद की स्थिति निर्मित होती है। अगर समय रहते इसमें ठोस कार्रवाई नहीं की जाती तो हम उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।