बलौदा बाजार

अघन पूर्णी महोत्सव मनाया गया, संत ध्यानी धर्मपुरा कवर्धा से वापस लौटे
31-Dec-2020 7:03 PM
  अघन पूर्णी महोत्सव मनाया गया, संत ध्यानी धर्मपुरा कवर्धा से वापस लौटे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

शिवरीनारायण, 31 दिसंबर।  चित्रोतपला महानदी के तट पर स्थित शिवरीनारायण नटराज चौक, सतनाम गुरुद्वारा में अघन पूर्णी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया।  आसपास के 40 -50 किलोमीटर दूर चारों दिशाओं से सतनाम पंथ के लोग पूर्णी महोत्सव में शामिल हुए।

अघन पूर्णी  महोत्सव का महत्व बताते हुए पंडित देवराम आचार्य कनकपुर वाले ने कहा कि 1756 में अघन पूर्णी के शुभ मुहूर्त में ही घासीदास का जन्म हुआ था, जो आगे जाकर संत शिरोमणि गुरु घासीदास बाबा हुए, घासीदास जी ने अपना समस्त जीवन मानव सेवा के लिए समर्पित कर दिया, सत्य, शांति, मनखे मनखे एक बरोबर,  एवं गरीबों दुखियों की सेवा की, इनके लिए जीवन पर्यन्त संघर्ष किया और प्रकृति में लीन हो गए।

इस अघन पूर्णी बेला का आदिकाल से विशेष महत्व रहा है। इसी सतनाम गुरुद्वारा से 18 दिसंबर 2020 की संध्या गुरु घासीदास जयंती के अवसर पर संत ध्यानी मनोज दास द्वारा धर्मपुरा कवर्धा में सतनाम गुरुद्वारा तोड़े जाने के विरुद्ध आंदोलन में हिस्सा लेने 200 किलोमीटर दूर साइकिल से सतनाम संदेश यात्रा पर चले गए थे। सरकार द्वारा पुन: गुरुद्वारा निर्माण का आश्वासन दिए जाने के बाद आंदोलन खत्म किया गया। संत ध्यानी मनोज दासजी अघन पूर्णी के अवसर पर सतनाम गुरुद्वारा में वापस आगमन हुआ है जिससे गुरुद्वारा परिवार एवं समाज में हर्ष व्याप्त है। इस खुशी में मनोज दिवाकर  समाजिक कार्यकर्त्ता ने गुरुद्वारा में आये संतों को हलवा-पुडी  और प्रसाद का वितरण किया गया।

 अघन पूर्णी के इस मधुर बेला में रात्रि सतनाम भजन कीर्तन का संगीतमय कार्यक्रम भी रखा गया था, जिसमें गुरु घासीदास के 7 सिद्धांतों एवं 42 उद्देश्यों को भजन गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। रात्रि जागरण भजन कीर्तन कार्यक्रम में पंडित देवराम आचार्य एवं उनके टीम जिसमें भगत रात्रे हारमोनियम मास्टर कनकपुर, राम विलास खूटे तबला वादक देवरी, साधु राम साहू बैंजो मास्टर देवरी एवं अन्य साथियों ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में मुख्य रूप से कमला खूटे अध्यक्ष बहुजन कल्याण संघ, बुद्धिजीवी डॉ. एआर बंजारे, मनोज दिवाकर, दिनेश राजमहंत, डेरिया पंडित ठाकुरदिया, देवदास टंडन, पनकराम लहरे मुड़पार, मेलाराम सांडे ठाकुरदिया, हीराराम बंजारे बिर्रा, सम्मेलाल मुड़पार, लाला भारती खरौद, रामलाल घृतलहरे सेल, सुखराम टुंड्रा, कीर्तन नगरदा, मनीराम मधुकर, अर्पिता दिवाकर, सिद्धार्थ मनोज दिवाकर, जयमती, बघरहीन, श्यामला बाई, अमृत बर्मन, महेत्तर, चिंतामणि पाटले आदि सतनाम पंथी उपस्थित रहे।


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