पेंटिंग प्रदर्शनी में हुई परिचर्चा, अनुभवी व्यक्तित्वों ने कलाकारों को सिखाई बारीकियां
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 16 अप्रैल। इंदिरा कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ के कलागुरु प्रो. मिश्रा की स्मृति में आयोजित कला प्रदर्शनी का कल समापन हुआ। इस मौके पर कला विमर्श में दिल्ली के कला समीक्षक व कलाकार राम प्रवेश पाल ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में संभावनाओं का दीप यहां के कलाकारों ने प्रज्वलित किया है। उन्होंने यहां की समृद्ध लोक परंपरा, कला व्यवसाय के अनेक बिंदुओं पर भी सारगर्भित चर्चा की। वरिष्ठ पत्रकार वसन्त वीर उपाध्याय ने रायगढ़ की उन गुफाओं का जिक्र किया जहां आदि मानव ने दीवारों पर चित्र उकेरे हैं। उन्होंने कहा कला के संस्कार छत्तीसगढ़ में आदि युग से है।
आयोजक जितेन साहू बताते है कि छत्तीसगढ़ प्रगतिशील कलाकार समूह (सीजीपीएजी) की यह पहली समकालीन कला प्रदर्शनी है। छत्तीसगढ़ के गठन के दो दशक से अधिक समय बाद भी, समकालीन कलाकारों को मंच प्रदान करने वाली कोई संस्था या अकादमी नहीं है। सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ, कलाकारों का एक समूह स्वेच्छा से सीजीपीएजी का गठन करने के लिए एक साथ आया है, जो एक गैर-वाणिज्यिक, रचनात्मक और सृजनात्मक दृष्टिकोण के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सीजीपीएजी महज एक समूह नहीं है, यह एक विचार है। यह सामूहिक भावना और भागीदारी का प्रतिनिधित्व करता है। निस्संदेह, आने वाले समय में सीजीपीएजी छत्तीसगढ़ के समकालीन कला आंदोलन को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आयोजन के संयोजक डॉ. ध्रुव तिवारी ने वक्ताओं सहित कलाकारों का सम्मान किया। इस अवसर पर स्पेशल सोहइ केक काट कर डॉ. सुनीता वर्मा ने आयोजन के चर्चा सत्र की शुरुवात की। बड़ोदरा से आईं डॉ. तरुणा ने कार्यक्रम का संचालन किया। आरती मुले की वंदना व सरिता श्रीवास्तव के भाव नृत्य ने सबको प्रभावित किया।