धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 28 नवंबर। दुगली में प्रधानमंत्री वनधन विकास योजनांतर्गत वनधन विकास केन्द्र संचालित है। यह साल 2018 से चल रही है। इसके जरिए समूह की महिलाओं को सालभर काम मिल रहा है। समय-समय पर जब काम अधिक होता है, तो अन्य समूह की महिलाओं को भी बुलाकर काम कराया जाता है। इस वनधन केंद्र में 22 प्रकार की सामग्री तैयार हो रही, इनमें 15 तरह की औषधि व खाद्य सामान शामिल हैं, जिसका आयुष व खाद्य विभाग से लाइसेंस भी मिला है। इस वनधन केंद्र में साल 2023 से एलोविरा का उत्पाद साबुन, शैंपू, मॉइस्चराइजर, बॉडी वॉश आदि तैयार किया जा रहा है, जिसका ड्रग व कॉस्मेटिक विभाग से लाइसेंस मिला है। वन विभाग का दावा है कि यह प्रदेश में एकमात्र वनधन विकास केन्द्र दुगली में है, जिसमें एलोविरा का प्रीमियम प्रोडक्ट तैयार होता है। इसके अतिरिक्त यहां का तीखुर अच्छी गुणवत्ता का तैयार किया जाता है। इन उत्पादों को बेहतर गुणवत्तायुक्त तैयार करने के लिए समय-समय पर विशेषज्ञों द्वारा महिला समूहों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है।
वन विभाग के मुताबिक वनधन योजना का प्रमुख काम आदिवासियों के आजीविका सृजन को लक्षित करना और उन्हें उद्यमियों में बदलना है। इसके अलावा वनाच्छादित क्षेत्रों में वनधन विकास केन्द्रों के स्वामित्व वाले जनजातीय समुदाय को स्थापित करना है, ताकि वन उपज के लिए प्राथमिक प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके और जनजातियों के लिए रोजगार उपलब्ध हो सके।
2021 में मिला था अवॉर्ड
भारत सरकार ट्राइबल विभाग द्वारा साल 2021 में वनधन विकास केन्द्र दुगली को प्रदेश में अधिक संग्रहण के लिए अवॉर्ड भी प्रदाय किया है। इस वनधन केन्द्र को मशीनरी व तकनीकी सहयोग भी मिल रहा है, जिससे केन्द्र दिनों दिन प्रगति कर रहा है। यहां 22 प्रकार के उत्पाद एलोविरा जूस, साबून, बॉडी वॉश, शैम्पू, जेल, मोस्चराईजर, हेयर कंडीशनर के साथ ही आंवला कैंडी, आंवला जूस, आंवला चूर्ण, बेहड़ा पावडर, त्रिफला चूर्ण, शतावर चूर्ण, अश्वगंधा चूर्ण, अर्जुन चूर्ण, जामुन गुठली चूर्ण, कालमेघ चूर्ण, तीखुर पावडर, बैचांदी चिप्स, माहुल पत्ता, शीशल रस्सी और शहद निर्मित किया जाता है।