बलौदा बाजार

अब 40 फीसदी टोकन समितियों से मैनुअल तरीके से काटने के आदेश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 26 नवंबर। धान बेचने के लिए टोकन में हो रही समस्या अब काफी हद तक दूर हो जाएगी। शासन ने अब 40 फीसदी टोकन सहकारी समितियों से ही मैनुअल तरीके से काटने के आदेश जारी कर दिए हैं। पहले ऑनलाइन ही टोकन काटे जा रहे थे। इसमें किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
‘छत्तीसगढ़’ ने 24 नवंबर को ही किसानों की समस्या को लेकर इस पर प्रमुखता से खबर छपी थी। इसके बाद शासन का यह आदेश आया है। इसे किसनों ने राहत की सांस ली है। जिन किसानों के पास स्मार्टफोन नहीं है यह जो नेटवर्क की समस्याओं से जूझ रहे थे उनके लिए या बड़ा फैसला है।
इस मामले में डीएमओ राहुल अंधसकर ने बताया कि सोमवार से 40 फीसदी टोकन मैनुअल तरीके से समितियों में काटे जाएंगे और 60 फीसदी टोकन ऑनलाइन ही काटेंगे। किसानों को असुविधा से बचने के लिए यह नई व्यवस्था लागू की जा रही है।
इस बार कुल पंजीकृत किसान 1,67,864 हैं। पंजीकृत रकबार 1,76,130 हेक्टेयर है। इस साल धान खरीदी लक्ष्य 96, 2912 टन है। अब तक खरीदी 40,638 टन 4.42 प्रतिशत की खरीदी हो चुकी है। ये खरीदी 9,602 5.72 प्रतिशत किसानों से की गई है। खरीदी का रकबा 7,831 हेक्टेयर 4.45 प्रतिशत है। इस तरह धान खरीदी करीब 4.42 प्रतिशत ही हो पाई है। अभी लक्ष्य पूरा होने में लंबा समय लगेगा। पिछली बार धान खरीदी 1 नवंबर से शुरू हो गई थी। इस बार 14 नवंबर से की गई है। खरीदी के लिए कम समय मिलेगा।
किसानों को टोकन काटने के लिए लंबी कतार लगने से बचने के लिए इस बार ऑनलाइन टोकन की व्यवस्था की गई थी। टोकन तुंहर द्वारा नामक एप भी लॉन्च किया गया था, लेकिन इससे परेशानी और बढ़ गई।
सरवर और नेटवर्क की समस्या, 4 मिनट में लिमिट खत्म होती थी
टोकन काटने के लिए बनाए गए मोबाइल एप या पोर्टल में तकनीकी खामियां थी। कई बार तो एप ही नहीं खुलता था। प्रोसेसर आगे नहीं बढ़ती थी। बार-बार सरवर और नेटवर्क की समस्या हो रही थी। जब तक प्रक्रिया आगे बढ़ती तब तक खरीदी केंद्र कि उसे दिन की लिमिट की खत्म हो जाती थी। किसानों को दूसरे दिन फिर चॉइस सेंटर जाना पड़ता था। इस तरह टोकन काटने में हफ्ते लग रहे थे। इस बार 20 दिन बाद ही टोकन मिल रहा है।
चॉइस सेंटरों में लग रही थी किसानों की भीड़
कई पढ़े-लिखे किसान सीधे चॉइस सेंटर में जाकर टोकन कटवा रहे थे। वहां भीड़ लग रही थी। इस तरह किसानों की सहूलियत के लिए की गई ऑनलाइन टोकन की व्यवस्था से और परेशानी हो रही थी। समितियों की जगह चॉइस सेंटर में भीड़ लगने लगी। वहां दिन दिनभर किसान टोकन कटवा रहे थे।