बलौदा बाजार

धान बेचने टोकन लेने में सर्वर की दिक्कत, 4 मिनट में ही खत्म हो जाती है खरीदने की लिमिट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 24 नवंबर। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए लागू की गई ‘टोकन तुंहर हाथ’ मोबाइल एप प्रणाली किसानों के लिए राहत से ज्यादा चिंता का कारण बन गई है। तकनीकी समस्याओं और समिति खरीदी क्षमता के चलते किसान टोकन कटवाने के लिए घंटों लाइन में लगने को मजबूर हैं।
इस एप को लाने का उद्देश्य था कि किसानों को समितियों के चक्कर लगाने से बचाया जाए। लेकिन यह योजना अपने उद्देश्य से में विफल होती दिख रही है। एप सुबह 9.30 बजे चालू होता है लेकिन जैसे ही किसान टोकन काटने की कोशिश करते हैं, सर्वर डाउन या एप स्लो हो जाता है। जिन किसानों को एप कनेक्ट करने का मौका मिलता है उन्हें दो-चार मिनट के अंदर टोकन काटने का प्रयास करना पड़ता है, 4 मिनट के अंदर खरीदी केंद्र का लिमिट खत्म हो जाता है।
ऐसे में किसान निराश होने लगा है, क्योंकि सरकार ने धान खरीदी भी 14 दिन विलंब से शुरू किया और अब टोकन नहीं काटने से किसानों को धान बेचने में तकलीफ हो रही है। योजना की खरीदी सीमा इतनी जल्दी खत्म हो जाती है कि अधिकांश किसान टोकन काटने में असफल रहते हैं। वहीं किसानों का कहना है कि वे सुबह से ही एप पर टोकन काटने की कोशिश में लग जाते हैं, लेकिन सर्वर की समस्याओं और समिति समय के कारण टोकन काटना संभव नहीं हो पाता। इस बार जिले में पंजीकृत किसानों की संख्या 1,67,849 वही कुल पंजीकृत रकबा 1,76,008 हेक्टेयर और खरीदी का अनुमति लक्ष्य 965 912 टन है।
मिलर्स की हड़ताल से पुराने बारदानों की कमी पड़ रही
वहीं मिलर्स भी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं, जिससे खरीदी केंद्रों में पुराने बारदाने की समस्या हो रही है। खरीदी के सप्ताह भर में ही खरीदी के लिए बारदाना नहीं मिलने से खरीदी प्रभावित होने लगी है। वहीं कई खरीदी केंद्रों में किसानों को स्वयं के बारदाने में धान लगाने को बोलने लगे हैं तो वहीं कई जगह बारदाने की कमी से खरीदी नहीं होने की सूचना भी गांव में दी जा रही है।
2 लाख की जगह 50 हजार क्विंटल ही खरीद रहे हैं
सरकार ने खरीदी केंद्रों की दैनिक सीमा तय की है जो किसानों की संख्या के हिसाब से प्राप्त नहीं मानी जा रही है। जिले के प्रतिदिन 2 लाख क्विंटल धान खरीदी की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 50-60 हजार क्विंटल की ही खरीदा जा रहा है। 20 दिन पहले एडवांस में टोकन जारी किए जा रहे हैं, लेकिन समिति खरीदी क्षमता के कारण हजारों किसान टोकन पाने से वंचित हैं।
ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट
की गति धीमी है
ग्रामीण इलाकों में अधिकतर किसानों के पास साधारण ही कीपैड मोबाइल है, जिससे वह एप का उपयोग नहीं कर पाते जिसके पास स्मार्टफोन है वह भी एप को चलाने में तकनीकी समस्या का सामना कर रहे हैं। ऐसे में किसान च्वॉइस सेंटर या साइबर कैफे पर निर्भर हो रहे हैं। सुबह से ही च्वॉइस सेंटरों पर लगी कटारे लग रही है जहां किसानों को टोकन काटने के लिए अतिरिक्त समय और पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। समस्या बढऩे के कारण ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की धीमी गति, पढ़े-लिखे न होने के कारण एप का इस्तेमाल करना मुश्किल हो गया है।
किसानों को सुबह जल्दी अपने खेत छोडक़र चॉइस सेंटरों पर जाना पड़ता है। किसान झाड़ी राम कनोजे, मोहित वर्मा, मेघनाथ यादव, बुधारूप यादव, सहदेव देवांगन आदि किसानों ने कहा कि टोकन कटवाने में परेशानी हो रही है।
32855 टन खरीदी 8703 टन के लिए टोकन जारी
पंजीकृत किसानों में से केवल 7,877 (4.66 फीसदी) को अब तक टोकन मिले हैं। खरीदी रखने की कुल प्रतिशत 3.6 है, जो लक्ष्य से बहुत पीछे हैं। समस्या से जूझते किसानों ने सरकार से तत्काल कदम उठाने की मांग की है। पूर्व में सहकारी समितियों से टोकन जारी किए जाते हैं जिससे उन्हें सहूलियत होती थी। उसे पुन प्रारंभ करने और सर्वर और एप की क्षमता बढ़ाने एप को अपग्रेड कर इसकी क्षमता बढ़ाने की मांग की है। साथ ही खरीदी सीमा में वृद्धि कर योजना खरीदी की सीमा बढ़ाई जाए। साथ ही आन लाइन टोकन का विकल्प उपलब्ध हो जिन किसानों के पास स्मार्टफोन या तकनीकी ज्ञान नहीं है उसके लिए ऑफलाइन टोकन हो।