बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा, 19 नवंबर। छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग एवं एस सीईआरटी की वार्षिक शैक्षिक कार्यक्रम के तहत शनिवार के दिन को बैगलेश डे घोषित किया है। इस विद्यालय में गतिविधि आधारित शैक्षिक कार्य किया जाता है जैसे कि साहित्यिक, सांस्कृतिक, शारीरिक एवं कौशल आधारित शिक्षा। विभाग द्वारा प्रत्येक शनिवार के लिए एक विषय निश्चित की गई है।
16 नवंबर को पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव के बारे मे विद्यार्थियों को जानकारी देनी थी। इस शासकीय प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय कुम्हली विकास खंड पाटन जिला दुर्ग के प्रधान पाठक सीएल साहू ने प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक विद्यालय के छात्रों को पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव का विस्तृत रूपरेखा तैयार करके विद्यालय में आयोजित की। धनतेरस पर्व पर सभी कक्षाओं के द्वार पर तेरह मिट्टी के दिए जला कर भगवान धन्वंतरि की पूजा की गई ज्ञात हो कि समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। वह भगवान विष्णु के अंशावतार। दूसरे दिवस नरक चतुर्दशी, भगवान कृष्ण ने इस दिन नरकासुर राक्षस का वध किया था। इस दिन कृष्ण की पूजा राधारानी जी के साथ करने की कथा है।
तीसरे दिन सुरहुती जिसे दीपावली कहा जाता है, सभी ग्रामीण देवी देवताओं और घरों मिट्टी के दिए जलाकर रोशन जाता है। विद्यालय के सभी कमरों और मां शारदा के मंदिर पर दिए जलाए गए। इस धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा विशेष विधि विधान से की जाती है। कार्यक्रम मे उपस्थित पालकगण, शिक्षक, छात्र मिलकर मां लक्ष्मी की पूजा की गई।
इस दिन मां काली व्याह कर अपने ससुराल गई थी इस परंपरा को जीवंत बनाए रखने विद्यालय में गौरा गौरी की मूर्ति बनाने के पूजा विधि के साथ गौर माटी लाए गए। बालिकाओं ने प्रत्येक कक्षा के सामने घर के प्रतीकात्मक स्वरूप मे सुवा नृत्य प्रस्तुत कर घर मालकिन ने सगुन भेंट के रूप मे एक सुपा धान और रुपए पैसे प्रदान किया। तत्पश्चात प्रत्येक घर जाकर कलशा परघनी स्वरूप घर के मालकिन से धन धान्य से भरा ज्योतिमय कलशा किए जिसे गौरा गौरी चौक पर दिव्य कलश स्थापित किए जाते हैं। विद्यार्थियों ने नाचते कुदते,बाजे गाजे, और ईसर गौरा गौरी की जयकारे के साथ भव्य बारात निकाली गई,नगर भ्रमण कर विद्यालय कलामंच पर स्थापना करके विधि विधान से ईसर गौरी गौरा की पूजा-अर्चना की गई। चौथे दिन गोवर्धन पूजा की गई। पारंपरिक यादव वेशभूषा से सुसज्जित बच्चों ने गौमाता को सोहई पहनानी और कबीर,सूर, तुलसीदास के जमकर दोहे पारे,काछन चढ़े नाचे,विद्यालय और आसपास का वातावरण पुन: दिवाली त्योहार के आनंद और हर्षोल्लास से सराबोर हो गया। इस आयोजन से शिक्षा का सीधा तारतम्य जैसे अनेक पौराणिक कथाएं याद आती है। छात्रों के सामान्य ज्ञान बढ़ता है। हमारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद मजबूत होता है। पाठ्य सहगामी क्रियाओं से छात्रों में समझ बहुत विकसित होता है। इस कार्यक्रम को पालकों ने बहुत सराहना की और सक्रिय भागीदारी भी निभाई। प्रधान पाठक छन्नूलाल साहू ने भारत की सांस्कृतिक विरासत समृद्ध हैं। इसे अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए पीढिय़ों को संजीदगी से हस्तांतरित करना बहुत आवश्यक है।