बलौदा बाजार

बिना रॉयल्टी के रेत का अवैध परिवहन
09-Nov-2024 2:35 PM
बिना रॉयल्टी के रेत का अवैध परिवहन

खनिज विभाग और पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
बलौदाबाजार, 9 नवंबर।
जिले में खनिज विभाग की लापरवाही और दबंगों के चलते रेत का अवैध परिवहन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ताज़ा मामला भाटापारा के खपराडीह गांव के पास का है, जहां रेत से भरी एक ओवरलोड हाईवे ट्रक बिना रॉयल्टी पर्ची के खड़ी मिली। पत्रकारों ने जब मौके पर पहुंचकर स्थिति की जानकारी लेनी चाही तो गाड़ी के ड्राइवर के पास किसी प्रकार की रॉयल्टी पर्ची नहीं पाई गई।

खनिज विभाग से संपर्क असफल, पुलिस को दी  सूचना
पत्रकारों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए खनिज विभाग को फोन कर मामले की सूचना देने का प्रयास किया, लेकिन विभाग के किसी भी अधिकारी ने फोन नहीं उठाया। इसके बाद भाटापारा ग्रामीण थाना प्रभारी को घटना के बारे में सूचित किया गया। थाना प्रभारी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दो पुलिसकर्मियों को मौके पर भेजा। लेकिन, पुलिस के सामने ही कुछ दबंगों ने दादागिरी दिखाते हुए पत्रकारों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और वीडियो बनाते हुए ट्रक को जबरदस्ती ले गए।

पुलिस की चुप्पी और दबंगों की दादागिरी 
गंभीर बात यह है कि मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने इस दबंगई पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और चुपचाप मूकदर्शक बने रहे। दबंगों की बेखौफ हरकतें, शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए खुलेआम अवैध रेत का परिवहन करते हुए नजर आईं, और उन्होंने पत्रकारों को धमकी दी कि ‘जो करना है कर लो, हमारी गाड़ी ऐसे ही रोज निकला करेगी।’
यह सब पुलिसकर्मियों के सामने हुआ, लेकिन उन्होंने हस्तक्षेप करने के बजाय स्थिति को अनदेखा कर दिया।

खनिज विभाग पर उठे सवाल
जिले में अवैध खनन की घटनाएं आम हो गई हैं, और खनिज विभाग की निष्क्रियता पर सवाल उठने लगे हैं। खनिज विभाग का केवल कागजों में कार्रवाई करना और ज़मीनी स्तर पर कोई ठोस कदम न उठाना, ऐसे मामलों को और भी बढ़ावा दे रहा है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध खनन से कई जगहों पर बड़े गड्ढे हो चुके हैं, जहां से मुरूम निकाली जा चुकी है। 

पत्रकारिता पर भी दबाव
इस घटना से साफ है कि पत्रकारों के लिए निष्पक्ष रूप से रिपोर्टिंग करना चुनौतीपूर्ण हो गया है। दबंगों की बढ़ती हुई दबंगई और खनिज विभाग की अनदेखी के कारण पत्रकार खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। इस तरह की घटनाएं न केवल पत्रकारों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक गंभीर मुद्दा है।
 


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