सुकमा

इस वर्ष होगा भव्य आयोजन, बंगीय समाज उत्साहित
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 28 अक्टूबर। काली पूजा की तैयारियां अंतिम चरणों पर है। काली पूजा को महज कुछ ही दिन अब शेष रह गये हंै। पूजा आयोजन समिति पूजा की तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा हुआ हैं।
वर्षों से चली आ रही काली पूजा इस वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या को, जो दिवाली की रात यानी 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। जिसे श्यामा पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
ढोल ढाक , शंख ,काशा के गूंज का पूजा में बड़ा महत्व है। विधिवत प्रतिवर्ष सम्पन्न होने वाली इस पूजा में साज सज्जा का विशेष महत्व होता है। पुष्पों से मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है जो आकर्षक का केंद्र होता है। दीपावली की रात होने वाली मां काली की पूजा बंगीय समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है।
ज्ञात हो कि मां बंगीय समाज की कुलदेवी के रूप में पूज्य होने से वजह से समाज काफी उत्साहित है। वार्षिक उत्सव में छोटे बड़े सभी वर्ग उपस्थिति होकर विधिवत मां की आराधना करते हैं। मुख्यालय स्थित श्रीश्री महाकाली मंदिर शक्तिकानन में काली पूजा की तैयारिया अंतिम चरण पर है। 45 वर्षों से लगातार चलती आ रही मां काली की पूजा को लेकर आयोजन समिति उत्साहित है। प्रतिवर्ष होने वाली पूजा जिले में काफी लोकप्रिय है। जिले में एक ही मंदिर होने के कारण उत्साह काफी बढ़ जाता है।
भजन संध्या का होगा आयोजन
वार्षिक काली पूजा के अध्यक्ष विशाल शाह ने बताया कि 31 अक्टूबर को मध्य रात्रि में माता का वार्षिक उत्सव के रूप मे विविध कर्मकांड के अलावा माता जी की आरती, ज्योत, जागरण, हवन व महाप्रसाद (भण्डारा) का आयोजन किया जाता है। एक दिवसीय भजन संध्या का आयोजन अन्य राज्यों से आए कलाकारों द्वारा सम्पन्न होगा । तीन दिवसीय कार्यक्रमों में मां की विधिवत पूजन व विभिन्न प्रकार से आरती व पूजा की तैयारी अब अपने अंतिम चरण में है। सुकमा सहित आस पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
इस वर्ष काली पूजा धूमधाम से मनाए जाने की हमारी तैयारी पूर्ण हो गई है। उन्होंने बताया कि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए हर संभव सुविधा की व्यवस्था की गई है। पूजा का शुभारंभ गुरुवार से होगा। उन्होंने आगे कहा कि तैयारियां पूरी होने के बाद 31अक्टूबर को रात्रि विधिवत मां काली की पूजा-अर्चना प्रारंभ होगी।
बंगीय समाज काली पूजा को लेकर काफी उत्साहित
बंगीय समाज में काली पूजा को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। समाज के लोग मां काली मंदिर में पूजा की तैयारी को लेकर तैयारियां कर रहे हैं, वहीं मंदिर परिसर में पूजा के आयोजन के लिए टेंट इत्यादि की व्यवस्था की जा रही है। युवा वर्ग इस पूजा को और भी खास बनाने के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। काली पूजा के आयोजन में बड़ी संख्या में बंगीय समाज के सदस्य शामिल होंगे। वहीं वरिष्ठ सदस्यों के मार्गदर्शन में पूजा की तैयारियां अंतिम रूप देने में लगे हैं।
वर्तमान मे मंदिर के व्यस्थापक व पंडित के दायित्व का निर्वाहन कर रहे सुजीत वैदिक ने बताया कि काली मंदिर पूर्व मे हुए साधनाओं का प्रतिफल है, जिले मे मां काली का एक ही मंदिर है हमारे परिवार द्वारा सुचारू रूप से व्यवस्था वर्षो से संचालित होता आ रहा है वर्तमान में परिसर सौन्दर्य व विधिवत पुजा के लिए लोकप्रिय है। मेरे पिता आचार्य स्व. नरेन्द्र गिरी वैदिक मां काली के प्रथम पुजारी होने के साथ मंदिर के संस्थापक के रूप में 1977 में मंदिर की नींव रखे थे, जिस परंपरा को बनाऐ रखने प्रथम पुजा हमारे परिवार के ही द्वारा वर्षों से सम्पन्न होता आ रहा है।
आगे उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष काली पूजा को लेकर विशेष तैयारी बंगीय समाज द्वारा की जाती रही है जिसे समाज प्रमुखो द्वारा सम्पन्न कराई जाती है वहीं हर्षोल्लास के साथ मनाई जाने वाली इस पुजा को विधिवत सम्पन्न कराने हम प्रतिबद्ध रहते हैं।