बलौदा बाजार

बीएनएस की धारा 105 में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग जरूरी, संसाधनों का टोटा
13-Jul-2024 2:55 PM
बीएनएस की धारा 105 में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग जरूरी, संसाधनों का टोटा

पुलिस के पास कैमरा पेन ड्राइव या सीडी नहीं तो छूटेंगे अपराधी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
बलौदाबाजार, 13 जुलाई।
पुलिस इन दिनों लोगों को बीएनएस भारतीय न्याय संहिता के बारे में समझ रही है। कानून सुधार के लिहाज से नया कानून बेशक बड़ा कदम है, लेकिन जिलों की पुलिस के पास उपलब्ध मौजूद संसाधनों को देखते हुए इसे सही तरीके से लागू करना बड़ी चुनौती नजर आ रही है। वह इसलिए क्योंकि छापामार कार्यवाही के दौरान पुलिस के पास कैमरा नहीं है या इनकी वीडियोग्राफी कर कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश नहीं किया तो अपराधी छूट भी सकते हैं।

दरअसल, बीएनएस धारा 105 के तहत ऑडियो वीडियो रिकॉर्डिंग की एसओपी जारी की गई है। जिलों की पुलिस के लिए यह हालत टेंशन पैदा करने वाला है। क्योंकि यहां के थानों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस तू दूर स्टेशनरी तक नहीं है। इसे साबित तो नहीं किया जा सकता। लेकिन ज्यादातर थानों में जितने भी लोग रिपोर्ट लिखवाने पहुंचते हैं। उनमें से अधिकांश को विवेचक कागज और कार्बन लगते रहते हैं। यह परंपरा बन गई है क्योंकि कोर्ट में जो भी डायरी पेश होती है, उसमें स्टेशनरी का महत्व है।

उत्तराखंड में छूट चुका है नारकोटिक्स का आरोपी
उत्तराखंड पुलिस ने भोला नाम के एक व्यक्ति को ड्रग्स के साथ पकड़ा था, उसे 2 जुलाई को उधम सिंह की अदालत में पेश किया गया। पुलिस मे नारकोटिक्स एनडीपीएस जैसे गंभीर मामले में आरोपी को पूछताछ के लिए रिमांड मांगी। 

जज ने रिमांड की सुनवाई के बाद लिखा कि पुलिस को आरोपी के ठिकाने पर रेड जब्त सामग्री और विटनेस की वीडियोग्राफी करनी थी। यह मोबाइल से भी हो सकती थी और इसे भी बतौर साक्ष्य  न्यायोचित में तुरंत पेश करना था। कोर्ट ने लिखा कि इन साक्ष्यों का न होना न्यायोचित नहीं है। इसी आधार पर मजिस्ट्रेट ने न केवल डिमांड की अर्जी मंजूर कर दी बल्कि आरोपी को 20 हजार रूपए मुचलके पर इस आधार आदेश के साथ छोड़ा कि जब भी पुलिस बुलाएगी, वह सहयोग करेगा।

छापा जब्ती सबूतो का वीडियो अब आवश्यक
समस्या ये है कि किसी केस में ऑडियो वीडियो वर्चुअल जरूरी है। मोबाइल या जिस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से छापा मार करवाई जाती और सबूत का वीडियो बनाया गया उसे पेश करना अनिवार्य है ऐसे में क्या छापा मारने वाले पुलिस अफसर मोबाइल से वीडियो बनाकर अपनी डिवाइस कोर्ट में पेश करेंगे तो इसका उपयोग यह बताया गया कि ऐसे वीडियो पेन ड्राइव या सीडी डिवाइस के माध्यम से कोर्ट को फॉरवर्ड किया जा सकता है। लेकिन जिले के किसी भी थाने में पुलिस के पास ना वीडियो बराबर है और ना ही सरकारी पेन ड्राइव और सीडी डीवीडी ऐसे में संसाधनों की कमी के चलते मामले में कार्यवाही जब्त सामग्री और सबूत का वीडियो पेश करना चुनौती बन सकता है।
 


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