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रायपुर, 11 दिसम्बर। हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचएनएलयू), रायपुर ने बताया कि अपने सेंटर फॉर क्रिमिनल लॉ एंड ज्यूरिसप्रूडेंस तथा सेंटर फॉर लॉ एंड ह्यूमन राइट्स के माध्यम से सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सी एस जे) और इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आई जे आर) के सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन का विषय था जस्टिस डिलीवरी मेकनिज़्म एंड इंस्टीट्यूशनल कैपेसिटी।
एचएनएलयू ने बताया कि यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न हितधारकों के बीच संवाद का एक साझा मंच था, जिसका उद्देश्य न्याय वितरण प्रणाली के चार स्तंभों — पुलिस, न्यायपालिका, कारागार और विधिक सहायता — की भूमिका, चुनौतियों और अवसरों पर विचार-विमर्श करना था। देशभर के विभिन्न संस्थानों से आए 55 से अधिक प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया।
एचएनएलयू ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ सुश्री नूपुर, मैनेजिंग ट्रस्टी, सेंटर फॉर सोशल जस्टिस (सी एस जे) द्वारा सीएसजे रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष प्रस्तुत करने से हुआ। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं और कमजोर वर्गों को प्रभावित करने वाली व्यवस्थागत चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
एचएनएलयू ने बताया कि वलय सिंह, लीड, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आई जे आर) ने इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के चौथे संस्करण का सारांश प्रस्तुत किया, जिसमें विभिन्न राज्यों की न्यायिक क्षमता का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया। कुलपति प्रो. (डॉ.) वी.सी. विवेकानंदन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि विधि विश्वविद्यालय, विधिक सुधार और क्षमता निर्माण के उत्प्रेरक हैं। उन्होंने संविधान की अपेक्षाओं और संस्थागत तत्परता के बीच की दूरी को रेखांकित करते हुए न्याय वितरण तंत्र को सशक्त बनाने हेतु प्रशिक्षण, विधिक सहायता और व्यवहारिक शिक्षा की आवश्यकता पर बल दिया।
एचएनएलयू ने बताया कि वॉइसेस फ्रॉम द फील्ड सत्र में अधिवक्ता दिव्या जायसवाल, गायत्री और शोभराम गिलहरे ने विधिक सहायता के क्षेत्रीय अनुभव साझा किए और वंचित समुदायों की वास्तविक स्थितियों पर चर्चा की।


